केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने रविवार को बताया कि इस वित्त वर्ष की शुरुआत से अब तक सकल कर संग्रह (Gross Tax Collection) में 23.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कर संग्रह में इजाफा होना भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती को दिखाता है।

सरकार की ओर से जारी किए गए प्रत्यक्ष कर संग्रह (Direct Tax Collection) के आंकड़ों में बताया गया है कि 1 अप्रैल से 8 अक्टूबर के बीच पिछले साल के मुकाबले कॉर्पोरेट टैक्स में 16.74 प्रतिशत और पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन में 32.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
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प्रत्यक्ष कर संग्रह 9 लाख करोड़ के करीब
इस वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से 8 अक्टूबर के बीच प्रत्यक्ष कर संग्रह 8.98 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है जो कि पिछले साल के मुकाबले 23.8 प्रतिशत अधिक है। वहीं अगर इसमें से रिफंड को हटा दिया जाए तो कॉर्पोरेट टैक्स और पर्सनल इनकम टैक्स को मिलाकर प्रत्यक्ष कर संग्रह 7.45 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाता है और यह पिछले साल के मुकाबले 16.3 प्रतिशत अधिक है। सीबीडीटी की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि अब तक हुआ कुल कर संग्रह बजट अनुमान का 52.46 प्रतिशत है।
तेजी से बढ़ रही जीडीपी
अगस्त में एमएसओ की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 13.5 प्रतिशत से बढ़ी है। इसके साथ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी के साथ विकास कर रही है। हालांकि रूस यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ती हुई महंगाई को काबू में करने के लिए आरबीआई लगातार ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है, जिसके कारण भविष्य में भारत की विकास दर नीचे आने की संभावना है।
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सितंबर में जारी की गई मॉनिटरी पॉलिसी में आरबीआई ने भारत के विकास दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया था। इसके साथ ही बड़ी रेटिंग एजेंसियां अभी वैश्विक अस्थिरता के कारण भारत की विकास दर के अनुमान को घटा रही हैं। रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमा पड़ने के कारण विदेशों में भारतीय सामान की मांग कम होगी, जिसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ सकती है। हालांकि उनका कहना है कि भारतीय उपभोक्ताओं की ओर से आने वाली मांग में कमी आने की कोई संभावना नहीं है।
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