डीएफसीसीआईएल परियोजना के तहत अंबाला मंडल के अधीन साहनेवाल से लेकर पिलखनी तक कॉरिडोर का निर्माण कार्य जुलाई 2016 में शुरु हुआ था। अब डीएफसीसीआईएल कॉरिडोर पर दोबारा से शेषनाग मालगाड़ी को चलाकर परीक्षण किया जाएगा।
डेडीकेटिड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) के 14 नए रेेलवे स्टेशन तैयार हो गए हैं। जल्द ही स्टेशनों पर कर्मचारियों की तैनाती भी कर दी जाएगी।
लगभग 100 से अधिक कर्मचारियों की ड्यूटी इन नए रेलवे स्टेशनों पर लगाई जाएगी जो शिफ्टों के हिसाब से कार्य करेंगे। डीएफसीसीआईएल कॉरिडोर पर 24 घंटे दौड़ने वाली मालगाड़ियाें की निगरानी करेंगे। विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार साहनेवाल से लेकर सहारनपुर के पास पिलखनी तक नए रेलवे स्टेशन सिर्फ मालगाड़ियों के लिए बनाए गए हैं।
इनमें न्यू पिलखनी, न्यू कलानौर, न्यू जगाधरी वर्कशॉप, न्यू दराजपुर, न्यू बराड़ा, न्यू केसरी, न्यू दुखेड़ी, न्यू अंबाला सिटी, न्यू शंभू, न्यू सराय बंजारा, न्यू सरहिंद, न्यू मंडी गोबिंदगढ़, न्यू खन्ना और न्यू चावापायल स्टेशन बनाए गए हैं। इन्हीं स्टेशनों पर फ्रेट हैंडल करने के लिए मल्टी मॉड्यूलर लॉजिस्टिक हब भी बनाई जाएगी।
दोबारा दौड़ेगी शेषनाग
डीएफसीसीआईएल कॉरिडोर पर दोबारा से शेषनाग मालगाड़ी को चलाकर परीक्षण किया जाएगा। इस बार मालगाड़ी की गति को बढ़ाने की योजना है, जिससे कि समय की बचत हो सके और सामान भी एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित तरीके से पहुंच सके। इसके लिए सेफ्टी विभाग की टीम भी तैनात रहेगी जोकि मालगाड़ी की प्रत्येक लोकेशन पर नजर रखेगी कि सफर के दौरान कौन-कौन से प्वाइंट्स पर मालगाड़ी की गति कम होती है ताकि इसमें सुधार किया जा सके।
इसके बाद डबल डेकर मालगाड़ियों का भी परीक्षण आरंभ किया जाएगा। गौरतलब है कि 4 फरवरी को भी शेषनाग का परीक्षण किया गया था। इसमें तीन मालगाड़ियों के डिब्बों को दो रेल इंजनों के साथ जोड़कर चलाया गया था। पंजाब के न्यू खन्ना रेलवे स्टेशन से उत्तरप्रदेश के न्यू पिलखनी स्टेशन तक मालगाड़ी गई थी। शेषनाग में 174 डिब्बे थे और इस मालगाड़ी ने लगभग 178 किमी के सफर को 80 किमी प्रतिघंटा की गति से मात्र तीन घंटे में पूरा किया था।
चलेगा जागरूकता अभियान
जल्द ही डीएफसीसीआईएल पूरे देश भर में एक जागरूकता अभियान चलाएगी। इस कड़ी में हरियाणा और पंजाब में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को समझाया जाएगा कि डीएफसीसीआईएल कॉरिडोर के तैयार होने से रेलवे को और व्यापारियों को क्या फायदा होगा, जिससे कि वो भी मालगाड़ियों क माध्यम से ही अपने सामान को एक से दूसरी जगह तक सुरक्षित तरीके से भेज सकें।
5500 करोड़ से की परियोजना पूरी
डीएफसीसीआईएल परियोजना के तहत अंबाला मंडल के अधीन साहनेवाल से लेकर पिलखनी तक कॉरिडोर का निर्माण कार्य जुलाई 2016 में शुरु हुआ था। यह परियोजना 2005 में बनी थी और 2006 में इसे मंजूरी मिली थी।इस रेल लाइन की शुरुआती लागत 3 हजार करोड़ थी जो बाद में बढ़कर 5500 करोड़ तक पहुंच गई। इसमें 2500 करोड़ का सिविल वर्क, एक हजार करोड़ का सिग्नल और ओएचई कार्य और 1200 करोड़ रुपये जमीन अधिग्रहण की कीमत शामिल थी।
कॉरिडोर पर शिफ्ट होने लगी मालगाड़ियां
अंबाला-सहारनपुर रेल खंड पर चलने वाली मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों को अब राहत मिल गई है। मालगाड़ियों के अलग से रेलवे ट्रैक होने की वजह से अब इस रेल खंड पर चलने वाली यात्री ट्रेनों की गति बढ़ाने पर भी मंथन हो रहा है ताकि यात्रियों के समय की बचत हो सके। प्राप्त जानकारी अनुसार इस रेल खंड पर चलने वाली 50 मालगाड़ियों को डीएफसीसीआइएल के कॉरिडोर पर शिफ्ट कर दिया गया है।
अधिकारी के अनुसार
शेषनाग मालगाड़ी का परीक्षण एक बार फिर किया जाएगा। बीच रास्ते के 14 नए रेलवे स्टेशन तैयार हो गए हैं और इन पर कर्मचारियों को तैनात किया जा रहा है। जल्द ही स्थानीय लोगों के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम किया जाएगा ताकि उन्हें कॉरिडोर से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी दी जा सके। -पंकज गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक, डीएफसीसीआईएल अंबाला।