किसी भी महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन बनाना आसान काम नहीं है। यह लंबी और चरणबद्ध प्रक्रिया है। कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए दुनिया के कई देश वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। आमतौर पर किसी वैक्सीन पर ट्रायल लंबे समय तक चलता है और इसके विकसित होने में वर्षों लग सकते हैं। पूर्व में कई महामारियों के दौरान ऐसे उदाहरण हैं, जब वैक्सीन बनने में सालों का वक्त लगा। हालांकि कोरोना महामारी में बहुत जल्द वैक्सीन के विकसित होने की उम्मीद की जा रही है। स्टेटिस्टा के अनुसार, दुनिया में प्रमुख रूप से 150 से अधिक वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें से अधिकतर वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल ट्रायल तक ही पहुंची है। बहुत कम वैक्सीन ऐसी हैं, जो दूसरे या तीसरे चरण में हैं। आइए जानते हैं कि कोरोना वैक्सीन की दिशा में दुनिया कितना करीब पहुंची है।
ऐसे समझिए वैक्सीन ट्रायल के विभिन्न चरणों को
कई ट्रायल प्री-क्लीनिकल चरण में हैं। जहां प्रतिरक्षा प्रणाली पर होने वाले प्रभाव को जांचने के लिए वैक्सीन की खुराक पशुओं को दी जाती है। 19 वैक्सीन ट्रायल के पहले चरण में हैं। इसमें लोगों के छोटे समूह को वैक्सीन की खुराक दी जाती है और पता लगाया जाता है कि यह सुरक्षित है या नहीं। 11 वैक्सीन दूसरे चरण में हैं, जिसमें सैंकड़ों लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखने के साथ खुराक के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है। आखिर में तीसरा चरण होता है, जिससे तीन वैक्सीन गुजर रही हैं। इसमें हजारों लोगों को शामिल किया जाता है। इसमें आखिरी बार सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है और साइड इफेक्ट्स का भी पता लगाया जाता है। ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के ट्रायल में 70 फीसद लोगों ने सिरदर्द या बुखार की शिकायत की। वैज्ञानिक कहते है कि पेरासिटामोल से यह ठीक हो सकता है।
सर्वाधिक वैक्सीन प्री क्लीनिकल ट्रायल में
कोरोना वायरस से दुनिया में संक्रमितों की संख्या डेढ़ करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। ऐसे में वैक्सीन का जल्द से जल्द आना बहुत जरूरी है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की वैक्सीन के ट्रायल में 1,077 लोगों को शामिल किया गया है। जिसमें वैक्सीन ने मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सफलतापूर्वक बढ़ाया है। मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित प्रथम चरण के परिणाम काफी आशाजनक हैं। यह उम्मीद जगाते हैं कि महामारी को समाप्त करने के लिए जल्द ही हमें सुरक्षित, प्रभावी और सुलभ वैक्सीन उपलब्ध होगी।
ऑक्सफोर्ड ने 2 अरब वैक्सीन ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोप के अन्य सहयोगियों को देने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके साथ ही सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और गैवी के साथ भी समझौता किया गया है। इस ट्रायल में वैक्सीन ने 14 दिनों में टी-सेल प्रतिक्रिया हासिल की और 28 दिनों में एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को भी काफी बढ़ाया है। र्गािजयन के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया में 140 प्रमुख प्री क्लीनिकल ट्रायल को अनुमति दी है। इसके अलावा कई वैक्सीन पहले से ही ट्रायल के उन्नत चरण में हैं।