संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन काप 28 में भाग लेने वाले सदस्य देशों को रविवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में जन विरोध देखने को मिला। इजरायल-हमास के युद्ध से लेकर पर्यावरण के मुद्दों तक पर यूएई में अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन देखा गया है।
इसमें कार्यकर्ताओं को शिखर सम्मेलन के अंदर सख्त दिशानिर्देशों के तहत अपना विरोध दर्ज कराने की अनुमति दी गई है। देश में लंबे समय से प्रतिबंधित संगठनों के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान की गई है। कार्यकर्ताओं को लगभग एक दशक में पहली बार विरोध दर्ज कराने की अनुमति दी गई।
हालांकि कई लोग इस बात को भी दबे स्वर में स्वीकार कर रहे हैं कि ऐसा हो सकता है कि उन्हें देश में कभी वापस आने की अनुमति न दी जाए। ह्यूमन राइट्स वाच में यूएई पर केंद्रित शोधकर्ता जाय ने कहा, काप 28 से जुड़े हमारे प्रमुख मुद्दों में से एक यह भी है कि यूएई सरकार इसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को चमकाने के लिए कर रही है।
इससे पहले शर्तों के चलते स्वच्छ ऊर्जा संकल्प से भी हटा था पीछे
पीटीआई, दुबई। भारत ने रविवार को स्वास्थ्य और जलवायु पर काप-28 घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया। सूत्रों ने बताया कि घोषणापत्र में स्वास्थ्य क्षेत्र में कूलिंग (ठंडा करने) के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उपयोग पर अंकुश लगाने का प्रविधान किया गया है।
भारत का मानना है कि देश के स्वास्थ्य सेवा ढांचे के तहत यह व्यावहारिक या हासिल करने योग्य लक्ष्य नहीं है। इससे पहले भारत ने 2030 तक वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के संकल्प पर हस्ताक्षर करने से भी परहेज किया, क्योंकि मसौदा पत्र में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का उल्लेख था।
भारत इसका समर्थन नहीं करता है। स्वास्थ्य और जलवायु घोषणापत्र में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में निरंतर कटौती के जरिये जलवायु कार्रवाई का आह्वान किया गया है। रविवार को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (काप-28) में पहले स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जारी घोषणापत्र में स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की गई।
इस घोषणापत्र पर अब तक 124 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि, भारत और अमेरिका ने इस पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया है। भारत और चीन दोनों ने शनिवार को काप-28 सम्मेलन में 2030 तक दुनिया की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने के संकल्प पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया था। 118 देशों ने 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की प्रतिबद्धता जताई।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल के एक सूत्र ने कहा कि भारत ने प्रतिबद्धता मसौदे पर हस्ताक्षर करने से परहेज किया, क्योंकि मसौदा में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का उल्लेख था। भारत अन्य देशों से कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से कम करने के बजाय सभी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के लिए कह रहा है।
सूत्र ने कहा कि भारत सितंबर में दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने पर पहले ही एक समझौता कर चुका है।
2005-2019 के बीच भारत की उत्सर्जन तीव्रता एक तिहाई घटी
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले भारत की उत्सर्जन तीव्रता वर्ष 2005-2019 के बीच 33 प्रतिशत कम हुई। देश ने 11 साल पहले ही निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर लिया।
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में भारत की जीडीपी सात प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि उसका उत्सर्जन प्रति वर्ष केवल चार प्रतिशत ही बढ़ा। इससे पता चलता है कि देश अपनी आर्थिक वृद्धि के मुकाबले ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने में सफल रहा है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसकी तस्दीक की है।