मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार देवरिया के मां विंध्यवासिनी बालिका संरक्षण गृह में सामने आई घटना की जांच सीबीआई से कराई जाएगी। ताकि, पूरे प्रकरण में सच्चाई दूध व पानी की तरह सबकेसामने आ सके। मामले में समय पर कार्रवाई न करने पर निवर्तमान डीएम सुजीत कुमार को चार्जशीट दी जा रही है। जबकि, देवरिया की बाल कल्याण समिति को निलंबित कर दिया गया है।
सीएम ने सोमवार को घटना की जांच के लिए अपर मुख्य सचिव, महिला कल्याण रेणुका कुमार और एडीजी अंजु गुप्ता को हेलीकॉप्टर से देवरिया भेजा था। योगी आदित्यनाथ ने देर शाम एनेक्सी स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस कमेटी ने मंगलवार की शाम उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
उन्होंने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि देवरिया का संरक्षण गृह वर्ष 2009 से संचालित है। वर्ष 2015-16 में चर्चित पालना घर प्रकरण में सीबीआई को इसमें तमाम आर्थिक अनियमितताएं मिली थीं। इसलिए हमारी सरकार के कार्यकाल में ही जून 2017 को संरक्षण गृह की मान्यता खत्म कर दी गई।
योगी ने बताया कि जिला प्रशासन को संस्था बंद कराने और वहां रह रहे बच्चों को अन्यत्र शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन, जिला प्रशासन ने समय पर कार्रवाई नहीं की। इसलिए डीएम सुजीत कुमार को हटा दिया गया। अब उन्हें चार्जशीट भी जारी की जा रही है। तत्कालीन डीपीओ को निलंबित कर दिया गया। वहीं, प्रभारी डीपीओ रहे दो अन्य अफसरों को सोमवार को ही चार्जशीट दे दी गई थी।
सीएम ने कहा कि देवरिया की बाल कल्याण समिति को हर माह निरीक्षण करके अपने रिपोर्ट शासन को भेजनी थी। पर, उसने अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन न करते हुए भारी लापरवाही बरती।
उसे भी निलंबित कर दिया गया है। इस समिति का गठन वर्ष 2015 में किया गया था। योगी ने कहा कि हमारी सरकार ने ही पूरे मामले को सबके सामने लाकर जून 2017 में कार्रवाई की थी। संरक्षण गृह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के कड़े निर्देश दिए थे।
पुलिस की भूमिका की भी जांच होगी
सीएम ने कहा, पूरे मामले में पुलिस की भूमिका की भी जांच कराई जाएगी। संरक्षण गृह केखिलाफ 30 जुलाई को एफआईआर दर्ज कराई गई थी, फिर भी पुलिस ने समुचित कार्रवाई क्यों नहीं की। इसकी जांच एडीजी, गोरखपुर को करने के आदेश दिए जा रहे हैं।
पिछली सरकार के कृपापात्रों की रही होगी संलिप्तता
उन्होंने कहा कि यह भी सामने आया है कि वर्ष 2009 से संचालित इस संस्था को पिछली सरकारों ने बड़ी ही उदारतापूर्वक अनुदान दिया। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) में भी पिछली सरकार के ही कृपा पात्र लोग शामिल हैं। घटना में उनकी भी संलिप्तता रही होगी। उनकी सरकार चाहती है कि घटना के पीछे जो भी जिम्मेदार हैं, वह दूध और पानी की तरह साफ हो। इसलिए पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को दी जा रही है।
साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ रोकने के लिए कमेटी गठित
योगी ने कहा, इस दौरान साक्ष्यों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो सके, इसलिए एडीजी क्राइम की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। इसमें दो महिला अफसरों एसपी ईओडब्ल्यू और एसपी, पुलिस ट्रेनिंग स्कूल, मेरठ को भी रखा गया है। एसटीएफ भी इस कमेटी की मदद करेगी।
बालिकाओं के बयान को गंभीरता से लिया
सीएम ने कहा कि संरक्षण गृह से मिली बालिकाओं को वाराणसी शिफ्ट कर दिया गया है, जबकि बालकों को भी बाल संरक्षण गृह में शिफ्ट करने के निर्देश दे दिए गए हैं। जो भी बच्चे बरामद हुए हैं, उन्हें शिफ्ट करने की कार्रवाई युद्धस्तर पर की जा रही है। सीएम से यह पूछे जाने पर मामले में मेडिकल रिपोर्ट में क्या आया, सीएम ने कहा कि बालिकाओं के बयान को सरकार ने गंभीरता से लेते हुए सीबीआई को जांच देने का फैसला किया। संस्था की मान्यता रद करने और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में समय का बहुत ज्यादा गैप होने के मामले में उन्होंने कहा कि इसके लिए ही जिलाधिकारी को चार्जशीट दी गई है। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।