उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर से कर दी है. सीएम के इस बयान के बाद राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की तरफ से प्रतिक्रिया आने लगी है. यूकेडी यानी उत्तराखंड क्रांति दल ने 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले स्वागत किया है. लेकिन, प्रधानमंत्री की तुलना आंबेडकर से करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
आरक्षण का उत्तराखंड से भी सीधा संबंध रहा है. उत्तराखंड राज्य का निर्माण नवंबर 2000 में हुआ. लेकिन 1994 में जब पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा हुई तो उत्तराखंड में आरक्षण विरोधी आंदोलन, राज्य की मांग के आंदोलन में बदल गया. इसके बाद अब एक बार फिर आरक्षण का मामला चर्चाओं में आ गया है. देश में सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को ऐतिहासिक बताया है. त्रिवेंद्र रावत ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि 21 वीं सदी में एक और आंबेडकर ने जन्म लिया है. इस पर उत्तराखंड क्रांति दल के प्रवक्ता शांति प्रसाद भट्ट ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले का स्वागत करते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना डॉ भीमराव आंबेडकर से करना ठीक नहीं है. यह बीजेपी की मानसिकता को दिखाता है.
मुख्यमंत्री के प्रधानमंत्री की तुलना अंबेडकर से करने पर उत्तराखंड बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य योगेश कुमार ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति डॉ भीमराव आंबेडकर के बराबर नहीं हो सकता. किसी को डॉ आंबेडकर से तुलना नहीं करनी चाहिए. आंबेडकर जैसा युगपुरुष ना तो कभी पैदा हुआ है और ना आगे हो सकता है.
दलित लेखक रूप नारायण सोनकर ने भी मुख्यमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक तरफ महाराष्ट्र में आंबेडकर भवन गिराया गया. हरियाणा और गुजरात मे दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं. तो ऐसे में मोदी की तुलना अम्बेडकर से कैसे हो सकती है. प्रदेश की मुखिया द्वारा की गई बयानबाजी के बाद अब प्रतिक्रियाओं को दौर जारी है.