CM केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखा खत, बोले- दिल्ली में गहरा सकता है बिजली संकट

दिल्लीवासियों के लिए आने वाले दिनों में परेशानी बढ़ा सकती है। दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाले पावर प्लांट में कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गहरा सकता है। दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में बिजली की समस्या खड़ी हो सकती क्योंकि कोयले से बिजली पैदा करने वाले पावर प्लांट दादरी, बदरपुर और झज्जर में कोयले की भारी कमी हो गई है। 

केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखा खत 

जल्द ही इन पावर संयंत्रों में कोयला नहीं पहुंचाया गया तो आने वाले दिनों में पूरे राजधानी क्षेत्र में बिजली की गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है। इस समस्या को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। 

इस वजह से खड़ी हुई समस्या 

केजरीवाल का कहना है कि रेलवे द्वारा कोयला खदानों से इन संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने के लिए पर्याप्त वैगन की व्यवस्था न किए जाने की वजह से ही कोयले की कमी की समस्या खड़ी हुई है। केजरीवाल ने पीएम मोदी को खत लिखकर आग्रह किया है कि वह रेलवे को जरूरी निर्देश दें, ताकि रेलवे पर्याप्त मात्रा में कोयले की ढुलाई के लिए वैगन की व्यवस्था करे। 

7000 मेगावाट तक जा सकती है मांग 

प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में सीएम कोजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में बिजली की मांग 6200 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। भीषण गर्मी को देखते हुए यह मांग अकेले दिल्ली में 7000 मेगावाट तक जा सकती है। केजरीवाल ने चिट्ठी में लिखा है कि अगर जल्दी ही इन संयंत्रों तक कोयला नहीं पहुंचाया गया तो दिल्ली में बिजली की भारी कटौती हो सकती है। 

केवल 20 घंटे का कोयला बचा है

दिल्ली के मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि प्लांट में केवल 20 घंटे का कोयला है। इस बारे में केंद्र सरकार को सूचना दे दी गई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जैन ने बताया कि झज्जर, दादरी, बदरपुर पावर प्लांट में 15 से 20 दिन का कोयला होना चाहिए, लेकिन मौजूदा हालात को देखा जाए तो यहां पर एक दिन का कोयला भी नहीं है। इनमें केवल 20 घंटे का कोयला बचा है।

60 फीसदी बिजली उत्पादन

गौरतलब है कि इससे पहले एनटीपीसी दादरी ने तकनीकी कारणों से बंद पड़ी 490 मेगावाट की एक इकाई को रविवार को शुरू कर दिया था। यह इकाई 25 मई से बंद थी। कोयले की कमी के चलते यह इकाई अभी अपनी क्षमता के हिसाब से परिचालन में नहीं आई है और केवल 60 फीसदी बिजली उत्पादन कर रही है। इससे प्लांट की क्षमता में 300 मेगावाट का इजाफा हुआ है। 

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