Chandrayaan-2 विक्रम लैंडर की नहीं टूटी आस, अब इसरो को इस चीज का इंतजार

चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के अपडेट पर पूरे देश की नजर टिकी है। चंद्रमा की सतह पर मौजूद चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को लेकर अब तक भले कोई अच्छी खबर नहीं मिल पाई हो, मगर उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। चंद्रमा के जिस हिस्से में विक्रल लैंडर की लैंडिंग कराई गई है, वहां अभी रात है, जिसकी वजह से चाह कर भी इसरो कुछ नहीं कर पा रहा।

मगर इसरो को चंद्रमा पर दिन होने का इंतजार है। जैसे ही दिन होगा, इसरो एक बार फिर से अपनी कोशिशों में जुट जाएगा। इसरो ने तीन सप्ताह से अधिक समय पहले चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के दौरान संपर्क से बाहर हुए ‘चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम से संपर्क कायम करने की कोशिशें अभी छोड़ी नहीं हैं। 

चंद्रमा पर जिस वक्त विक्रम लैंडर की लैंडिंग की गई थी, उस वक्त दिन था। 14 दिनों तक इसरो ने पूरी कोशिश की, मगर लॉन्चिंग के के 14 दिन बाद यानी करीब 20 सितंबर को चांद पर रात होने की वजह से इसरो संपर्क साधने में विफल है।

अब जब तक रात के भी 14 दिन पूरे नहीं हो जाते, तब तक इसरो कुछ प्रयास नहीं कर सकता। हालांकि, इसरो प्रमुख सिवन ने उम्मीद जताई है कि दो-चार दिन बाद जब वहां दिन होगा, तो एक बार फिर से विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश की जाएगी। 

बीते सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से कुछ मिनट पहले ‘विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। इसके बाद से ही बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए ”हरसंभव कोशिशें कर रही है, लेकिन चंद्रमा पर रात शुरू होने के कारण 10 दिन पहले इन कोशिशों को स्थगित कर दिया गया था। बाद में नासा के ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें जारी की थी, उसमें उसने कहा था कि विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई है। 

मंगलवार को  इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि ‘अभी यह संभव नहीं है, वहां रात हो रही है। शायद इसके बाद हम इसे शुरू करेंगे। हमारे लैंडिंग स्थल पर भी रात का समय हो रहा है। चंद्रमा पर रात होने का मतलब है कि लैंडर अब अंधेरे में जा चुका है। उन्होंने कहा, ”चंद्रमा पर दिन होने के बाद हम प्रयास करेंगे।

चंद्रयान-2 काफी जटिल मिशन था जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अनछुए हिस्से की खोज करने के लिए ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को एक साथ भेजा गया था। इसरो ने प्रक्षेपण से पहले कहा था कि लैंडर और रोवर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर होगा। कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडर से संपर्क स्थापित करना अब काफी मुश्किल लगता है।

इसरो के एक अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ”मुझे लगता है कि कई दिन गुजर जाने के बाद संपर्क करना काफी मुश्किल होगा लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है।

यह पूछे जाने पर कि क्या चंद्रमा पर रात के समय अत्यधिक ठंड में लैंडर दुरुस्त स्थिति में रह सकता है, अधिकारी ने कहा, ”सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है क्योंकि लैंडर तेज गति से चंद्रमा की सतह पर गिरा होगा। इस झटके के कारण लैंडर के भीतर कई चीजों को नुकसान पहुंच सकता है। इस बीच, सिवन ने कहा कि ऑर्बिटर ठीक है।

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