CDC ने कोरोना वायरस के लिए नई गाइडलाइन्स जारी की : अमेरिका

अमेरिका के सीडीसी ने कोरोना वायरस की नई गाइडलाइन्स जारी की हैं. सीडीसी का कहना है कि कोरोना वायरस हवा से भी फैल सकता है. हालांकि एक महीने पहले ऐसी ही चेतावनी जारी करने के बाद सीडीसी ने ने अपना पोस्ट वापस ले लिया था. अब सीडीसी की तरफ से एक बार फिर यही बात कही गई है.

अपनी ताजा गाइडलाइन्स में सीडीसी ने कहा है कि छोटे ड्रॉपलेट्स और कण जैसे वायरस के संपर्क में आने के बाद कुछ संक्रमण तेजी से फैलने लगते हैं, जो हवा में मिनटों से लेकर घंटों तक रहते हैं. ये वायरस उन लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं जो लोग संक्रमित व्यक्ति से 6 फीट से अधिक दूर हैं या फिर उस जगह पर हैं जहां कुछ समय पहले संक्रमित व्यक्ति था.

वायरस के इस तरह के प्रसार को एयरबोर्न ट्रांसमिशन के रूप में जाना जाता है और तपेदिक, खसरा और चिकन पॉक्स जैसे संक्रमण ऐसे ही फैलते हैं. इस बात के भी सबूत मिले हैं कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति अपने से 6 फीट से ज्यादा दूरी वाले लोगों को भी संक्रमित कर सकता है. ऐसा ट्रांसमिशन ऐसी जगहों पर पाया गया जहां पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेशन नहीं था. कुछ मामलों में संक्रमित व्यक्ति तेज-तेज सांसें ले रहा था, उदाहरण के तौर पर गाना गाना या एक्सरसाइज करना.

वैज्ञानिकों का मानना है कि इन सभी परिस्थितियों में COVID-19 के संक्रमित व्यक्तियों के छोटे ड्रॉपलेट भी दूसरे लोगों में संक्रमण फैलाने के लिए पर्याप्त होते हैं. कोरोना वायरस वाला व्यक्ति अगर किसी एक जगह पर है तो उस पर जगह आने वाला अन्य व्यक्ति भी संक्रमित पाया गया.

वैज्ञानिकों ने कहना है कि हमारा ध्यान एयरबोर्न ट्रांसमिशन से बचाव पर होना चाहिए क्योंकि COVID-19 वाले व्यक्ति सांस लेने और बात करने के दौरान हजारों वायरस से भरपूर एयरोसोल्स छोड़ते हैं. जब COVID-19 वाले लोग खांसते, छींकते हैं, गाते, बात करते या सांस लेते हैं तो उनके मुंह से रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स निकलते हैं.

ये ड्रॉपलेट्स बड़े या छोटे भी हो सकते हैं. इनमें से कुछ इतने छोटे होते हैं कि दिखाई भी नहीं देते हैं, वहीं कुछ ड्रॉपलेट्स ऐसे होते हैं जो तुरंत सूख जाते हैं. मुख्य तौर पर संक्रमण  covid-19 वाले व्यक्ति के ड्रॉपलेट के जरिए ही फैलता है.  ये ड्रॉपलेट्स संक्रमित व्यक्ति से जितनी दूर जाते हैं, उनका ड्रॉपलेट कॉन्संट्रेशन भी कम हो जाता है.

गुरुत्वाकर्षण के कारण बड़े ड्रॉपलेट्स जमीन पर गिर जाते हैं जबकि छोटे ड्रॉपलेट्स और कण हवा में फैल जाते हैं. कुछ समय के बाद श्वसन की बूंदों में संक्रामक वायरस की मात्रा भी कम हो जाती है. सीडीसी की ताजा गाइडलाइन अपने पहले की कुछ रिपोर्ट्स को भी स्वीकार करती है जिसके अनुसार 6 फीट की दूरी संक्रमित व्यक्ति भी कोरोना फैला सकता है.

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