कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) और इसकी वजह से अभिभावकों की वित्तीय समस्याओं का हवाला देते हुए s ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ (NGO Social Jurist) नाम के गैर सरकारी संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के 28 सितंबर के आदेश के खिलाफ यह अपील दाखिल की है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से कहा था कि इस जनहित याचिका को प्रतिवेदन मानते हुए इस पर तीन हफ्ते के भीतर फैसला लिया जाना चाहिए। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील में कहा गया है कि लॉकडाउन और कोरोना महामारी के चलते अभिभावकों की आमदनी या तो खत्म हो गई है या फिर बेहद कम हो गई है। इसके चलते उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है।
वकील अशोक अग्रवाल के माध्यम से दाखिल अपील में कहा गया है कि हाई कोर्ट का आदेश देश के 30 लाख और अकेले दिल्ली में तीन लाख छात्रों को राहत न देनेवाला बन गया है। ऐसे में सीबीएसई से परीक्षा शुल्क माफ करने को कहा जाए नहीं तो केंद्र सरकार पीएम केयर्स फंड से देश भर के छात्रों के लिए पैसे का भुगतान करे। दिल्ली के छात्रों के लिए राज्य सरकार से यही करने के लिए कहा जाए।
अपील में दलील दी गई है कि 2018-19 तक 10वीं और 12वीं की सीबीएसई की परीक्षा का शुल्क न्यूनतम था लेकिन 2019-20 से बोर्ड ने इसमे कई गुणा वृद्धि कर दी है। सीबीएसई बोर्ड ने मौजूदा शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए 10वीं के छात्रों से 1500 से 1800 रुपए और 12वीं कक्षा के छात्रों से 1500 से 2400 रुपए परीक्षा शुल्क की मांग की है। याचिका के मुताबिक, यह रकम छात्रों के विषयों की संख्या और प्रैक्टिकल आदि पर निर्भर है।
अपील में यह भी कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों की परीक्षा शुल्क का भुगतान सीबीएसई को किया था। ऐसे में जब कोरोना संकट के चलते लोग परेशान हैं राज्य सरकार ने साल 2020-21 में वित्तीय संकट का हवाला देते ऐसा करने से इनकार कर दिया है। अत: अभिभावकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई को परीक्षा शुल्क माफ करने या विकल्प के रूप में केंद्र को पीएम केयर फंड या दूसरे स्रोतों से इसका भुगतान करने का निर्देश दिया जाए।
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