नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका की गई है. ये याचिका एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आफ सिविल राइटस (ACPR) नाम की संस्था ने दाखिल की है. इस याचिका में नागरिकता संशोधन कानून के अलावा नागरिकता कानून 1955 की धारा 3(1) को भी चुनौती दी गई है. इस धारा के मुताबिक अलग-अलग समय में भारत में जन्मे लोगों के लिए अलग अलग नियम हैं.

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन तो हो ही रहा है, अदालतों में भी लड़ाई लड़ी जा रही है. इसी सिलसिले में शुक्रवार को एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन आफ सिविल राइटस नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की है. इस याचिका में याचिकाकर्ता ने नागरिकता संशोधन कानून 2019, नागरिकता कानून 1955 की धारा 3(1) और नागरिकता कानून 1955 के तीसरे शेड्यूल को अंसवैधानिक करार दिया है.
याचिका में कहा है गया है कि नागरिकता कानून 1955 की धारा 3(1) भारत में अलग-अलग समय में जन्में बच्चों को नागरिकता देने के लिए अलग-अलग शर्तें रखता है. याचिका में बच्चों के अधिकार पर खास तौर पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि इसके प्रावधान ऐसे हैं कि कुछ बच्चों को कहीं की नागरिकता नहीं मिल पाती है और ऐसा करना संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों और सिद्धांतों का उल्लंघन है.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध जारी है. वहीं कई राज्यों में नागरिकता कानून के समर्थन में भी कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को कोर्ट में चुनीतौ देने वालों में कई गैर सरकारी संगठन, नेता शामिल हैं.
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