BSNL, MTNL को रिवाइव करने के लिए सरकार ने उठाया यह कदम, दिया जा सकता है 4G स्पेक्ट्रम

टेलीकॉम सेक्टर की सरकारी कंपनियों BSNL तथा MTNL के 69 हजार करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए सरकार ने मंत्रिसमूह का गठन किया है। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संचार, सूचना प्रौद्योगिकी तथा कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य व उद्योग तथा रेल मंत्री पीयूष गोयल तथा तेल, प्राकृतिक गैस तथा इस्पात मंत्री धर्मेद्र प्रधान शामिल हैं। यह उच्चस्तरीय मंत्रिसमूह (जीओएम) भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) तथा महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के पुनरुद्धार को लेकर हाल में किए गए निर्णयों को तेजी से लागू करेगा।

4G Spectrum के आवंटन पर होगा फैसला

सूत्रों के मुताबिक पुनरुद्धार पैकेज में दोनों कंपनियों की व्यावसायिक सक्षमता का आकलन करने, वीआरएस के जरिये कर्मचारियों की संख्या सीमित करने, बांड जारी करने, परिसंपत्तियों का मौद्रीकरण तथा बीएसएनएल को 4-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन जैसे कई महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। जीओएम को इन सभी पर चर्चा करके निर्णय लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

92,700 कर्मचारियों ने किया है वीआरएस के लिए आवेदन

सरकार ने इसी वर्ष अक्टूबर में बीएसएनएल में एमटीएनएल के विलय के लिए 69 हजार करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज का निर्णय लिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये फैसला हुआ था। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान दोनो सरकारी कंपनियों ने अपने यहां स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) को लागू कर दिया है। जिसके तहत लगभग 92,700 कर्मचारियों ने वीआरएस लेने के लिए आवेदन किया है। इससे कर्ज में डूबी दोनो कंपनियों के वेतन बिल में सालाना 8,800 करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है। इसके अलावा दोनो कंपनियों की परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण के परिणामस्वरूप अगले तीन वर्षो में तकरीबन 37,500 करोड़ रुपये प्राप्त होने के आसार हैं।

नौ साल से घाटा झेल रहीं BSNL, MTNL

बीएसएनएल और एमटीएनएल को पिछले नौ वर्षों से घाटा हो रहा है। एमटीएनएल केवल मुंबई और दिल्ली में सेवाएं देती है। जबकि बीएसएनएल बाकी हिस्सों में संचार सेवाएं प्रदान करती है। इससे पहले दोनों कंपनियों के विनिवेश की चर्चा हो रही थी। लेकिन सरकार ने रक्षा क्षेत्र की जरूरतों और निजी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए बीएसएनएल के रूप में एक सरकारी कंपनी को बनाए रखना जरूरी समझा है।

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