भारतीय जनता पार्टी की रणनीति में कहां चूक हुई, पार्टी इसकी पड़ताल कर रही है। पार्टी को यह भी संदेह है कि उसके ही घर में मौजूद किसी विभीषण के कारण उसे ‘आपरेशन कमल’ में मुंह की खाना पड़ी। पिछले महीने की आठ फरवरी से ही भाजपा इस तैयारी में जुटी हुई थी कि प्रदेश में सवा साल से काबिज सरकार को हटाया जाए। इसी मंशा के साथ भाजपा ने पहले निर्दलीय और फिर कांग्रेस के घर में सेंध लगाई। पार्टी के रणनीतिकारों ने बारबार दिल्ली के दौरे किए तो कहीं न कहीं इसकी भनक कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को लगी और उनके खुफिया तंत्र ने भाजपा के सपनों पर पानी फेर दिया। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सबसे पहले विधायकों की हार्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया तो सभी ने हल्के में लिया।
भाजपा भी कांग्रेस नेता के बयान में छिपी कहानी पढ़ने में सफल नहीं रही। अंदरखाने के सूत्र बताते हैं कि भाजपा के नेता दिल्ली में खुलकर घूम रहे थे, यही उनकी कमजोरी बना। कांग्रेस ने खुफिया तंत्र को भाजपा नेताओं के पीछे लगाया, जिससे उसे भनक लगी कि भाजपा ने होटल में सरकार गिराने के लिए साजो समान संजो लिया है। बस यहीं से मामला पलटा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मंत्री भेजे और रातों रात भाजपा के अरमानों पर पानी फेर दिया। हालांकि अभी भी कांग्रेस के तीन विधायक गायब है, सूचना है कि ये तीनों बेंगलुरु में हैं। उधर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे के विधायकों के संपर्क में होने की बात बार-बार कह रहे हैं।