भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) से जुड़े मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगा. यह मामला प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया था.
तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) की ओर से पेश वकीलों ने पीठ को बताया कि उन्होंने इस मामले में याचिका दायर की है और इन्हें सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए.
टीएनसीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा, ‘हमने अंतरिम याचिका दायर की है, जिसे आज (बुधवार को) सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया. इसलिए निर्देश दें कि हमारी अंतरिम याचिका को न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.’
एचपीसीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने भी कहा कि उनके द्वारा दायर याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है.
पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं पर दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी. कैग ने हाल में अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए 2016 के आदेश में संशोधन की मांग की थी, जिससे कि वह बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों का वार्षिक या द्विवार्षिक वित्तीय, अनुपालन और प्रदर्शन ऑडिट कर सके.
कैग ने अपनी याचिका 18 जुलाई 2016 के आदेश में संशोधन की मांग की थी, जिसके जरिए शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था, जिसमें बीसीसीआई की शीर्ष परिषद और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की संचालन परिषद में कैग के एक नामित को शामिल करना शामिल है.
कैग ने कहा कि 35 राज्यों संघों में से केवल 18 ने अब तक नामांकन का आग्रह किया है, जबकि 17 अन्य ने अभी नामांकित अधिकारियों से संपर्क नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2016 के अपने आदेश में कैग के नामित को बीसीसीआई सदस्य के रूप में शामिल करने की न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की सिफारिश से सहमत होते हुए कहा था कि इससे क्रिकेट की राष्ट्रीय संचालन संस्था के मामलों में पारदर्शिता और वित्तीय बेहतरी आएगी.