Article 370: ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग जम्‍मू और कश्‍मीर में फिर सक्रिय हुआ, रात को लगे आपत्तिजनक नारे

जम्‍मू और कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (home minister amit shah) ने सोमवार को एक प्रस्ताव लाकर राज्य से अनुच्छेद 370 हटा दिया है। इसको लेकर राज्यसभा (Rajya Sabha) में काफी हंगामा भी हुआ है और मंगलवार को भी लोकसभा में बहस हो रही है। इस बीच जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने और अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने को लेकर सोमवार देर रात दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawahar lal Nehru University) में एक बार फिर टुकड़े-टुकड़े गैंग की सक्रियता देखने को मिली है। 

फरवरी 2016 की तरह सोमवार देर रात JNU कैंपस में एक बार फिर ‘आजादी-आजादी’ के नारों की गूंज सुनाई दी। सोमवार रात को अचानक कुछ लोगों ने अंधेरे में जमकर नारेबाजी की और इस दौरान अनुच्छेद 370 को वापस लेने की मांग की। नारे लगाने वालों को छात्र बताया जा रहा है, लेकिन इसकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है। 

नारेबाजी के दौरान इन लोगों ने बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही नारेबाजी करने वालों ने सेना को लेकर भी कई बार अपशब्दों का इस्तेमाल किया।

इन लोगों ने खुद को भारतीय बताने से भी परहेज किया। इनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना सरासर गलत है और इन्होंने राज्य को दिए गए विशेष राज्य के दर्जे को बहाल करने की भी मांग की। हैरानी की बात है कि हमेशा मुखर रहने और चेहरे के साथ अपनी बात कहने वालों ने जेएनयू में आधी रात के अंधेरे में नारेबाजी तो की, लेकिन ये छात्र मीडिया के कैमरे से कतराते रहे।

जम्मू और कश्मीर में चल रहे गहमागहमी के बीच जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद ने मोदी सरकार पर हमला बोला है, शेहला राशिद ने एक के बाद एक दस ट्वीट किए। एक में उ्होंने लिखा है- ‘भारत ने कश्मीर को एक ब्लैक होल में बदल दिया है। सामान्य जीवन को ऑफ ट्रैक कर दिया है। स्थिति पर कोई स्पष्टता नहीं, सरकार से स्थानीय लोगों के लिए कोई सलाहकार या संचार नहीं है, चारों ओर घबराहट, अटकलें और अफवाहें हैं। फोन और इंटरनेट बंद हैं।’

देश के नामी संस्थानों में शुमार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) में 9 फरवरी, 2016 में एक कार्यक्रम के दौरान कथित देशविरोधी नारे लगाए जाने की घटना ने पूरे देश में उबाल ला दिया था। 

जेएनयू देशद्रोह प्रकरण में गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपित कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद व अनिर्बान को दिल्ली हाई कोर्ट से सशर्त जमानत मिली हुई है। अन्य के खिलाफ बिना गिरफ्तार किए स्पेशल सेल ने आरोप पत्र दायर किया है। कन्हैया, उमर व अनिर्बान के अलावा सात अन्य आरोपित जम्मू कश्मीर के हैं। इनमें मुजीब (जेएनयू छात्र) व मुनीर (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) दोनों भाई हैं। उमर गुल (जामिया यूनिवर्सिटी), बसारत (जामिया), रईस रसूल (स्टूडेंट नहीं है), अकीब हुसैन, दंत चिकित्सक हैं, खालिद भट्ट जेएनयू का छात्र है।

ऐसे हुआ बवाल

9 फरवरी, 2016 को जेएनयू में अफजल गुरु मकबूल भट्ट के फांसी के विरोध में साबरमती ढाबे के पास सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था, जिसमें देश विरोधी नारे लगे थे। पुलिस ने उस वक्त दिल्ली के वसंत कुंज नार्थ थाने में कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद और अनिर्बान भंट्टाचार्य को गिरफ्तार किया था। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई थी।

जेएनयू में तथाकथित देश विरोधी नारे लगने के बाद पूर्वी दिल्ली के सांसद महेश गिरी ने पुलिस को शिकायत दी थी। इसके बाद 11 फरवरी, 2016 की शाम को मामले में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमा दर्ज करने के बाद 12 फरवरी को कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया था।

आरोप है कि विद्यार्थियों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 9 फरवरी की रात को कुछ ऐसे ही देश विरोधी नारे लगे। जानकर हैरानी तो होगी, लेकिन कैपस मे सक्रिय कुछ कश्मीरी, दलित व अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों ने न सिर्फ संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की तीसरी बरसी पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया था, बल्कि प्रशासन की ओर से उनके इस कृत्य पर रोक लगाने पर कश्मीर की आजादी के नारे लगाए थे।

इस दौरान जब एबीवीपी ने जेएनयू छात्रसंघ के संयुक्त सचिव सौरभ शर्मा के नेतृत्व मे आयोजन का विरोध किया तो न सिर्फ उनके खिलाफ नारेबाजी की गई, बल्कि आरोप है कि उन्हें कट्टा दिखाकर डराने की कोशिश भी की गई थी।

कैंपस में इस कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े लोग अगले दिन यानी 9 फरवरी को दिनभर चुप्पी साधे रहे। दबी जुबान में अभी वे यही कह रहे है कि भारतीय संविधान उन्हें अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता देता है और उसी के मद्देनजर अफजल गुरु व जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक मकबूल भट की याद मे सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था। आयोजकों का कहना है कि यदि एबीवीपी की ओर से इस आयोजन को लेकर प्रशासन से मिली मंजूरी को अंतिम समय में रद न कराया जाता तो हंगामा इस हद तक न बढ़ाता।

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