गूगल ने ऑडियो प्लीथिस्मोग्राफी (APG) में अपने शोध के बारे में जानकारी साझा की है। यह तकनीक टेक दिग्गज को एक साधारण सॉफ्टवेयर अपग्रेड के साथ एक्टिव न्वाइज कैंसिलेशन (ANC) वाली ईयरफोन को हार्ट रेट की निगरानी करने में मददगार बनाती है।
क्या है गूगल की नई तकनीक?
गूगल ने एक ब्लॉग में कहा कि हमने एक नए सक्रिय इन-इयर हेल्थ सेंसिंग मोडैलिटी पेश की है। APG अतिरिक्त सेंसर जोड़े बिना या बैटरी लाइफ से समझौता किए बिना, ANC हियरेबल्स को यूजर्स के शारीरिक संकेतों, जैसे हार्ट रेट और हार्ट रेट में बदलाव की निगरानी करने में सक्षम बनाता है।
गूगल का दावा है कि ईयर केनल स्वास्थ्य संवेदन के लिए एक सटीक जगह है। व्यावसायिक एएनसी हेडफोन पर लो-फ्रीक्वेंसी सिग्नल को सुनना और इसपर निर्भर स्वास्थ्य सुविधाओं को एम्बेड करना चुनौतीपूर्ण है। गूगल के रिसर्चर ट्रौस्टी थोर्मंडसन ने कहा कि एपीजी, एएनसी हेडफोन के स्पीकर के माध्यम से कम तीव्रता वाले अल्ट्रासाउंड जांच सिग्नल भेजकर, एएनसी हेडफोन हार्डवेयर को इस काम के लिए सक्षम बनाया गया है।
ऑडियो प्लीथिस्मोग्राफी कैसे काम करेगी?
गूगल बताता है कि यह तकनीक ANC हेडफोन के स्पीकर के माध्यम से कम तीव्रता वाले अल्ट्रासाउंड जांच सिग्नल भेजकर काम करती है। यह सिग्नल गूंज (इको) को ट्रिगर करता है, जो ऑन-बोर्ड फीडबैक माइक्रोफोन के माध्यम से प्राप्त होता है। कंपनी ने कहा कि हमने देखा है कि छोटे ईयर केनल की त्वचा का विस्थापन और दिल की धड़कन का कंपन इन अल्ट्रासाउंड इको को कंट्रोल करता है।
गूगल ने 153 लोगों के साथ अध्ययन के दो सेट भी किए हैं, जिसमें कंपनी ने पाया कि एपीजी “लगातार सटीक हार्ट रेट (3.21% मीडियम एरर) और हार्ट रेट वैरायबिलिटी (2.70% मीडियम एरर) प्राप्त करता है।
गूगल का दावा है कि मौजूदा हार्ट रेट सेंसर की तुलना में, एपीजी की सटीकता त्वचा के रंग से प्रभावित नहीं होती है। न ही यह कान के आकार को प्रभावित करता है। गूगल का यह भी मानना है कि यह तकनीक फोटोप्लेथिस्मोग्राफ (PPG) और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) सेंसर साथ ही हेडफोन/ईयरबड्स में एक माइक्रोकंट्रोलर जोड़ने से बेहतर है।