अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में परीक्षा से वंचित छात्रों के मामले की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा AIIMS गोरखपुर में MBBS प्रथम वर्ष के शॉर्ट अटेंडेंस के छात्रों परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट याचिका पर विस्तार से सुनवाई के बाद सोमवार को विस्तृत आदेश जारी करेगी. उसने AIIMS गोरखपुर को प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा कराने का निर्देश दिया, जिनकी अटेंडेंस कम है. कोर्ट ने याचिककर्ता से ऐसे छात्रों की कुल संख्या बताने को कहा, जिनकी अटेंडेंस कम है.
सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील नेदुम्पार ने कहा कि उनके क्लाइंट की पर्याप्त अटेंडेंस है और उनको परीक्षा में बैठने की इजाजत दी जानी चहिए. AIIMS के वकील उदित्य बनर्जी ने कहा कि छात्र की उपस्थिति कोरोना से पहले 60 फीसदी थी और कोविड के बाद वह 4 कक्षाओं में उपस्थित हुए. छात्र का तर्क है कि वह क्लास ही नहीं कर सकता क्योंकि वह रिमोट एरिया से आता है. अगर वह 4 ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल हो सकता तो वह दूसरी क्लास में भी शामिल हो सकता था.
जस्टिस राव ने एम्स के वकील से पूछा कि अगर आप आज सुनवाई में शामिल हो रहे हैं तो क्या आप सभी सुवनाई में शामिल हो सकते हैं? रोज कुछ न कुछ तकनीकी दिक्कत आती है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अब छात्र के पास क्या विकल्प है. AIIMS के वकील ने कहा कि छात्र प्रथम वर्ष का है, लिहाजा अब उसकी अक्टूबर में होने वाली प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह 10 छात्रों के भविष्य से जुड़ा मामला है, क्या यह सिर्फ अटेंडेंस का मामला है, क्या कुछ और है? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान MCI (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) की राय मांगी है. MCI के वकील गौरव शर्मा ने कहा कि AIIMS MCI के अधीन नही आता है, लेकिन हमारी राय है कि छात्रों का एक साल खराब नहीं होना चहिए.