भारत सरकार ने एडीबी का पाकिस्तान को 800 मिलियन अमेरीकी डॉलर का लोन देने वाले फैसले का कड़ा विरोध किया था। भारत सरकार का कहना था कि लोन में मिले पैसों का पाकिस्तान दुरुपयोग करेगा। वही ये पैसा वे आर्मी को बढ़ाने के काम पर लगा सकता है।
भारत सरकार ने कहा कि हम एडीबी के इस फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। एडीबी ने ऐसे समय में लोन देने का फैसला किया है, जब पाकिस्तान का जीडीपी घट रहा है। वही आर्थिक सुधारों में ध्यान देने की जरूरत है।
मंगलवार को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने पाकिस्तान को उधार 800 मिलियन डॉलर देने का फैसला किया है। एडीबी का मानना है कि पाकिस्तान उधार में मिले पैसों का इस्तेमाल राजकोषीय स्थिरता को मजबूत करने और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में सुधार के लिए करेगा।
इससे पहले, कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखी, जिसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जून को एडीबी के अध्यक्ष मसातो कांडा से मुलाकात की और तीन दिन बाद एडीबी ने पाकिस्तान को 800 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण मंजूर कर दिया।
पीटीआई के सरकारी सूत्रों की मानें तो भारत को उम्मीद है कि एडीबी मैनेजमेंट एडीबी के पैसों को पर्याप्त रूप से सुरक्षित रखेगा, ताकि इस तरह के किसी भी दुरुपयोग को रोका जा सके।
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान का पहले से ही खराब रिकॉर्ड रहा है। ये इसलिए हुआ है क्योंकि पड़ोसी देश के आर्थिक मामलों में सेना ने हस्तक्षेप किया है,जिससे नीतिगत चूक हुई और विकास भी धीमी हुई।
पहले भी अतीत में देखा गया है कि जब नागरिक सरकार सत्ता में होती है, तब भी सेना घरेलू राजनीति में बड़ी भूमिका निभाती रहती है और अर्थव्यवस्था में अपनी पैठ बना लेती है।
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