मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पश्चिमी सभ्यता का असर जल्द नजर आता है। अब तक दूसरे फैसन को अपनाने वाली मुंबई ने अब कम उम्र में गर्भधारण और फिर गर्भपात को भी फैशन बना लिया है। एक खबर के अनुसार पिछले तीन सालों में मुंबई में 15 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के गर्भपात के मामलों में 144 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है जो कि हेल्थ एक्टिविस्ट के लिए खतरे की घंटी है।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार 2015-16 में गर्भपात के ओवरआल मामलों में डबल डिजिट ग्रोथ देखी गई है। बीएमसी द्वारा रजिस्टर्ड मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) सेंटरों से प्राप्त किए गए ताजा डेटा के अनुसार 2015-16 में 34,749 महिलाओं ने गर्भपात करवाया जो कि 2014-15 के मुकाबले 13 प्रतिशत ज्यादा है।
अगर बात किशोरावस्था में प्रगनेंसी की करें तो इसमें काफी तेजी नजर आई है और 15 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में प्रेगनेंसी के आंकड़े 111 से 185 पर पहुंच गए हैं और पिछले तीन सीलों में कुल 271 मामले सामने आ चुके हैं। 15-19 वर्ष की लड़कियों के बीच गर्भपात के मामले विरोधाभासी रूप से 2015-16 में 50 प्रतिशत कम रहे जबकि पिछले साल इसमें 47 प्रतिशत की वद्धि दर्ज हुई थी।
15 वर्ष तक की लड़कियों में गर्भधारण औ गर्भपात के मामलों में इतनी तेजी को एक्िटविस्ट गंभीर और चौकाने वाला मान रहे हैं। एक एनजीओ पॉपुलेशन फर्स्ट की डायरेक्टर एएल शारदा के अनुसार आंकड़े चौकाने वाले हैं। युवाओं में तेजी से यौन गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद केवल इसे ही गर्भपात के इतने ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
शारदा के अनुसार राज्य में लगे पॉस्को एक्ट के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के प्रेगनेंट होने की सूचना पुलिस को देनी होती है और शायद इसी से बचने के लिए भी गर्भपात के मामले में इतनी तेजी नजर आ रही है। वहीं 15-19 वर्ष की लड़कियों में गर्भपात के मामलों में कमी को लेकर सिर्फ यह कहा जा सकता है कि कॉलेज की लड़कियों में गर्भनिरोधक चीजों को लेकर जागरूकता है जिसके चलते इसमें कमी आई है।
आंकड़ों के अनुसार 4 प्रतिशत लड़कियां जो गर्भपात कराती हैं वो कुंवारी होती हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठारी की आरटीआई के जवाब में बीएमसी ने बताया कि कुछ गर्भपात के मामलों में से 32,725 ने गर्भधारण के 12 हफ्तों के भीतर ही गर्भपात करवा लिया जो कि स्वास्थ्य के लिहाज से सही वक्त माना जाता है। लेकिन गर्भपात के दौरान पिछले साल 8 मौते भी हुई हैं।
इनमें से पांच 19-25 वर्ष के बीच की थीं जब कि एक 26-29 और दो 30 वर्ष की थीं। इन चौकाने वाले आंकड़ों के बावजूद बीएमसी का कहना है कि यह स्थिति पांच साल पहले के मुकाबले काफी बेहतर है जब गर्भपात के दौरान 23 मौतों रजिस्टर हुई थीं। एक वरिष्ठ सिविक अधिकारी के अनुसार रजिस्टर्ड मामलों में बढ़ोतरी के दो कारण हो सकते हैं।
महिलाओं का रजिस्टर्ड सेंटर्स के माध्यम सुरक्षित गर्भपात करवाने की तरफ रूझान बढ़ा है। इसके अलावा गर्भनिरोधक गोलियों से भी गर्भपात के मामले रजिस्टर किया जा रहे हैं। एफओजीएसआई के मुंबई चैप्टर की प्रमुख डॉ. नंदिता पालशेटकर के अनुसार रजिस्टर्ड सेंटर्स पर ज्यादा गर्भपात हो रहे हैं जिससे इनकी ट्रैकिंग हो रही है और सही रिकॉर्ड मिल रहा है।