इंस्टीट्यूट ने किया खारिज, बनाई खुद से अपनी पहचान और अब है इतने....

इंस्टीट्यूट ने किया खारिज, बनाई खुद से अपनी पहचान और अब है इतने….

क्या किसी के टैलेंट को खारिज कर दिया जाता है तो वह गुमनामी के अंधेरे में चला जाता है? क्या कोई संस्थान किसी काबिल को एडमिशन नहीं देती तो उसके ख्वाब अधुरे रह जाते हैं? क्या हुनर को होती है मौके की तलाश? यकीनन आपका जवाब होगा ‘नहीं’. क्या आपको पता है कि अल्बर्ट आइंस्टाइन, वॉल्ट डिज़्नी और स्टीवन स्पीलबर्ग जैसे जीनियस लोगों में क्या कॉमन है?इंस्टीट्यूट ने किया खारिज, बनाई खुद से अपनी पहचान और अब है इतने....अभी-अभी: आई बड़ी खबर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पद से देगे इस्तीफा…

तो जानिए कि थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी देने वाले अल्बर्ट आइंस्टाइन को एक पॉलिटेक्निक स्कूल में एडमिशन नहीं मिला.एनिमेशन किंग वॉल्ट डिज़्नी को जॉब से यह कहकर निकाल दिया गया था कि उनकी इमेजिनेशन में दम नहीं है और मशहूर हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग को एक फिल्म स्कूल ने 1 नहीं 2 नहीं बल्कि 3 बार रिजेक्ट किया.

ऐसा ही कुछ हुआ मुंबई के आर्टिस्ट सुशांत सुशील रहाणे के साथ. एक नामी आर्ट इंस्टिट्यूट ने सुशांत को भी 1 नहीं, 2 नहीं बल्कि 3 बार एडमिशन देने से मना कर दिया. उसके बावजूद हमारे इस इंडियन स्पीलबर्ग सुशांत ने हार नहीं मानी, और 3डी की दुनिया में अपना अलग तरह की आर्ट डेवलप किया.

इसके साथ ही इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये देश के सबसे छोटे 3डी आर्टिस्ट हैं. 19 साल के सुशांत बताते हैं कि उन्होंने साल 2015 से 3डी पेंटिंग बनाने की शुरुआत की. मगर उन्हें 3डी आर्ट नहीं करनी थी, उनका मन तो रियलिस्टिक पेंटिंग में लगता था.

इसके लिए सुशांत ने इंटरनेट और किताबों का सहारा लिया और आज वो आर्ट की दुनिया में ये एक जाना पहचाना नाम हैं. सुशांत को इंटरनेट और अन्य माध्यमों से 3डी आर्ट सीखने में केवल एक महीने का समय लगा.

सुशांत अपनी ड्राइंग को एकदम असली दिखाने के लिए हाईलाइट्स, टेक्सचर और कलर टोन का भी पूरा ध्यान रखते हैं. सुशांत ने ड्राइंग को रियलिस्टिक दिखाने के लिए खुद से भी कई ट्रिक्स ईजाद किये हैं. जैसे कलर पेंसिल के ऊपर मार्कर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

इसलिए सुशांत पहले मार्कर, फिर उसके ऊपर कलर पेंसिल और सबसे आखिर में वाटर कलर का इस्तेमाल करते हैं. रंगों को इस्तेमाल करने की सही बारी का चुनाव करके सुशांत अपनी पेंटिंग को ज्यादा रियलिस्टिक बना पाते हैं.

इसके साथ ही सुशांत को एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग, कैरिकेचर मेकिंग में भी महारत हासिल है. आज सुशांत उन हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, जिन्हें शिक्षण संस्थानों के द्वारा खारिज कर दिया जाता है.

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