New Delhi: सिक्किम से भी ज्यादा अरुणाचल प्रदेश पर चीन की गिद्ध भरी नजरे रहती है । चीन अरुणाचल के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा करना चाहता है, और तवांग जिले पर अपना कब्जा जताता रहता है, इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने तंवाग के होलोग्गी इलाके में ग्रीनफिल्ड एयरपोर्ट बनाने को मंजूरी दे दी है । आपको बता दें कि ग्रीनफिल्ड एयरपोर्ट पर वह होता है जहां पर पहले से कोई एयरपोर्ट नहीं होता है । मोदी सरकार ने देश के कई राज्यों में ग्रीनफिल्ड एयरपोर्ट बनाने को मंजूरी दी है।देखे फोटो: PAK का हाल बिजली और अंग्रेजी आती नहीं, लेकिन कश्मीर चाहिए इनको…
आपको बता दें कि तवांग तिब्बत के पास है । लेकिन तवांग में जमीन की कमी होने के कारण ही होलोग्गी का चयन किया गया है । तवांग के होलोग्गी इलाके में बनने वाला ग्रीनफिल्ड एयरपोर्ट राज्य सरकार और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा मिलकर बनाया जाएगा ।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन गुरुप्रसाद मोहनपात्रा ने बताया कि हमने एयरपोर्ट बनाने के लिए दो जगह जमीन की जांच की लेकिन राज्य सरकार और उड्डयन मंत्रालय दोनों ने मिलकर होलोग्गी में ग्रीनफिल्ड एयरपोर्ट बनाने का निर्णय लिया ।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन गुरुप्रसाद मोहनपात्रा ने बताया कि हमने एयरपोर्ट बनाने के लिए दो जगह जमीन की जांच की लेकिन राज्य सरकार और उड्डयन मंत्रालय दोनों ने मिलकर होलोग्गी में ग्रीनफिल्ड एयरपोर्ट बनाने का निर्णय लिया ।
वर्तमान में अरुणाचल में कार्यात्मक नागरिक हवाई अड्डा नहीं है। भारतीय वायुसेना के पास रणनीतिक उद्देश्यों के लिए राज्य में कुछ उन्नत लैंडिंग मैदान हैं । AAI ने तेजू में एक हवाई अड्डा बनाया है, जो अब गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ जैसे बड़े पूर्वोत्तर हवाई अड्डों से एटीआर संचालन कर सकता है। इस हवाई अड्डे का जल्द ही उद्घाटन होगा ।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने कहा- रणनीतिक रूप से तवांग अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर भूटना-चीन से सटा हुआ है । लेकिन सिर्फ जमीन की कमी के कारण ही होलोग्गी का चयन किया गया है । 1,000 करोड़ रुपये की लागत से होलोग्गी में एयरपोर्ट बनाया जाएगा । तवांग चारों ओर पहाड़ों से घिरा है, इसीलिए हवाई अड्डे के लिए एक साइट को साफ करने से लेकर पहाड़ों को काटने पर बहुत ज्यादा रुपये खर्च होंगे, और पर्यावरण के लिए भी चुनौती साबित होगी।