सरकार ने जन विश्वास विधेयक को दी मंजूरी, अदालतों पर कम होगा बोझ

दिल्ली सरकार ने छोटे अपराधों और तकनीकी उल्लंघनों से मुक्ति की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2026 को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य कानून को सरल बनाना, अनुपालन प्रक्रियाओं को सहज करना और आम नागरिकों व कारोबारियों के जीवन को आसान बनाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधेयक लागू होने से छोटे उल्लंघन अपराध की श्रेणी से बाहर हो जाएंगे, जिससे अदालतों पर बोझ कम होगा और प्रशासनिक प्रणाली अधिक प्रभावी बनेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह विधेयक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन विश्वास पहल से प्रेरित है। केंद्र सरकार ने जन विश्वास (संशोधन उपबंध) अधिनियम, 2023/2025 के तहत केंद्रीय कानूनों में छोटे अपराधों को अपराधमुक्त किया था। इसी तर्ज पर राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को भी अपने कानूनों की समीक्षा करने की सलाह दी गई थी। दिल्ली सरकार ने व्यापक समीक्षा के बाद पाया कि कई मामलों में आपराधिक सजा के बजाय नागरिक दंड अधिक व्यावहारिक और प्रभावी है।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि यह विधेयक ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देगा। इससे छोटे, तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों में आपराधिक मुकदमों की जगह नागरिक दंड, प्रशासनिक जुर्माना और अपील की व्यवस्था लागू होगी। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गंभीर अपराधों, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन से जुड़े मामलों में कठोर प्रावधान पहले की तरह लागू रहेंगे।

इस विधेयक के तहत दिल्ली औद्योगिक विकास, संचालन एवं अनुरक्षण अधिनियम, 2010, दिल्ली दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1954, दिल्ली कृषि उपज विपणन अधिनियम, 1998, दिल्ली जल बोर्ड अधिनियम, 1998 सहित कुल सात अधिनियमों में संशोधन का प्रस्ताव है। इन कानूनों में छोटे अपराधों को अपराधमुक्त कर नागरिक दंड में बदला जाएगा।

जुर्माने की राशि में हर तीन साल स्वत: 10 प्रतिशत होगी वृद्धि :
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि जुर्माने की राशि में हर तीन वर्ष में 10 प्रतिशत की स्वतः वृद्धि होगी ताकि मुद्रास्फीति के अनुरूप दंड प्रभावी बना रहे। मुख्यमंत्री ने बताया कि इससे सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और इसे मौजूदा संसाधनों से ही लागू किया जाएगा। यह विधेयक दिल्ली विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
विधेयक दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि जिन अधिनियमों को इस विधेयक के दायरे में लाया गया है, वे निम्नलिखित हैं:-
दिल्ली औद्योगिक विकास, संचालन एवं अनुरक्षण अधिनियम, 2010
दिल्ली दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1954
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ‘इन्क्रेडिबल इंडिया’ बेड एंड ब्रेकफास्ट प्रतिष्ठान (पंजीकरण एवं विनियमन) अधिनियम, 2007
दिल्ली कृषि उपज विपणन (नियमन) अधिनियम, 1998
दिल्ली जल बोर्ड अधिनियम, 1998
दिल्ली व्यावसायिक महाविद्यालय/संस्थान अधिनियम, 2007
दिल्ली डिप्लोमा स्तरीय तकनीकी शिक्षा संस्थान अधिनियम, 2007
इन सभी अधिनियमों में छोटे अपराधों को अपराधमुक्त कर नागरिक दंड में बदलने का प्रस्ताव है।

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