ब्लड शुगर पर क्या असर डालती है देसी खांड वाली चाय?

चाय में मिठास न हो, तो कई लोगों का दिन ही पूरा नहीं होता, लेकिन हाल ही में एक इंस्टाग्राम यूजर rohansehgalofficial ने एक दिलचस्प रील शेयर की। जी हां, उन्होंने बताया कि देसी खांड वाली चाय पीने पर उनका ब्लड शुगर काफी बैलेंस रहता है, जबकि सफेद चीनी ब्लड शुगर को ज्यादा तेजी से बढ़ा देती है। उनका कहना है कि उन्हें डायबिटीज नहीं है, लेकिन बैलेंस शुगर लेवल से उन्हें हल्का और एनर्जेटिक फील होता है। वहीं, क्रेविंग्स भी ज्यादा परेशान नहीं करती हैं। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा- “प्रीवेंशन ही सबसे अच्छी दवा है… लंबे समय तक ब्लड शुगर में ज्यादा उतार-चढ़ाव कई समस्याओं को जन्म दे सकता है, जैसे डायबिटीज, हार्ट डिजीज और मोटापा।”

उनके टेस्ट में सामने आया कि
देसी खांड वाली चाय से शुगर सिर्फ 13 mg/dL बढ़ी
जबकि सफेद चीनी से यह बढ़ोतरी 24 mg/dL पहुंच गई
लेकिन असली सवाल यहीं आता है- क्या देसी खांड वास्तव में सफेद चीनी से ज्यादा ‘हेल्दी’ है?

देसी खांड बनाम सफेद चीनी
आमतौर पर तो लोगों को देसी खांड ज्यादा नेचुरल और कम प्रोसेस्ड लगती है, लेकिन असल में शरीर के अंदर दोनों की भूमिका लगभग एक जैसी ही होती है। एक बार जब आप चाय में मीठा मिलाते हैं, तो आपका पैन्क्रियाज यह नहीं पहचान पाती कि मिठास किस सोर्स से आई है, यानी ग्लूकोज तो वैसे ही बढ़ेगा। देसी खांड का ग्लाइसेमिक इंडेक्स थोड़ा कम हो सकता है, पर यह फर्क इतना बड़ा नहीं है कि इसे “सुरक्षित विकल्प” कहा जाए। खासकर तब जब आप डायबिटीज के मरीज हैं या वे लोग जिनका शुगर लेवल बॉर्डरलाइन है। उनके लिए देसी खांड भी ब्लड शुगर में उछाल ला सकती है।

खाली पेट या खाने के बाद: कब होता है चाय का ज्यादा असर?
यह बात कई लोग नहीं जानते कि चीनी वाली चाय कब पी जाती है, इससे भी ब्लड शुगर पर बड़ा असर पड़ता है।
1) खाली पेट चाय
तेजी से अवशोषित होती है
ब्लड शुगर का उछाल ज्यादा होता है
शरीर पर तनाव बढ़ सकता है
2) खाने के बाद चाय
खाना अवशोषण को धीमा करता है
शुगर का उछाल काफी कम हो जाता है
मतलब, टाइमिंग भी उतनी ही जरूरी है।
क्या 24 mg/dL की ब्लड शुगर बढ़ोतरी चिंता की बात है?
बहुत से लोग यह सोच कर घबरा जाते हैं कि थोड़ी-सी चाय भी शुगर बढ़ा देती है। लेकिन सच यह है कि-
20 से 30 mg/dL की बढ़ोतरी बिल्कुल सामान्य है
हेल्दी लोगों में भी खाने-पीने पर शुगर में इतने उतार-चढ़ाव आते रहते हैं
असल मायने एक बार के उछाल के नहीं, बल्कि लंबे समय के पैटर्न के होते हैं।
हालांकि, अगर दिन में कई बार ऐसे स्पाइक्स आ रहे हों, महीनों में फास्टिंग शुगर धीरे-धीरे बढ़ रही हो या रोजाना मीठी चाय, जूस और स्नैक्स आपकी डाइट का हिस्सा हों, तो यह आदतें धीरे-धीरे इंसुलिन रेजिस्टेंस की ओर ले जा सकती हैं। यानी, कभी-कभार 24 mg/dL का उछाल खतरा नहीं है, लेकिन रोजाना ऐसा होना आगे चलकर समस्या बन सकता है।

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