एमसीडी के 12 वार्डों के उपचुनाव की घोषणा ने दिल्ली का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। यह सिर्फ राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों की लड़ाई नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व और सरकार की लोकप्रियता की पहली बड़ी परीक्षा होगी। सीएम समेत 11 विधायकों और छह सांसदों की भी प्रतिष्ठा दांव पर होगी। सांसदों के मामले में खास तौर पर चांदनी चौक के सांसद का सबसे अधिक इम्तिहान है, क्योंकि उपचुनाव वाले सबसे अधिक वार्ड उनके क्षेत्र के है।
12 वार्डों के उपचुनाव के परिणाम से एमसीडी की सत्ता पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। मगर यह उपचुनाव भाजपा व मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उसके सांसदों की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। दिल्ली की सत्ता संभालने के बाद यह पहला चुनाव है जिसमें भाजपा और उसकी अगुवाई वाली रेखा गुप्ता सरकार जनता के बीच उतरने जा रही है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद रेखा गुप्ता का यह पहला जनमत परीक्षण होगा। उपचुनाव वाले 12 वार्डों में से शालीमार बाग-बी और द्वारका-बी ऐसे हैं, जिनमें मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पश्चिम दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत वर्ष 2022 में पार्षद चुनी गई थीं। सांसदों की बात करें तो चांदनी चौक क्षेत्र के सांसद प्रवीन खंडेलवाल के क्षेत्र के चार वार्डों में उपचुनाव हो रहा है, इनमें रेखा गुप्ता वाले वार्ड समेत दो वार्ड भाजपा और दो वार्ड आम आदमी पार्टी के पास थे।
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