प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट से दीपावली पर राजधानी में ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति मांगेगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि जनभावनाओं और पर्यावरण संरक्षण, दोनों में संतुलन जरूरी है। दीपावली को लेकर दिल्लीवालों में अलग उत्साह रहता है। यह पर्व धार्मिक के साथ दिल्ली की आर्थिक और सांस्कृतिक मजबूती का प्रतीक भी है। दिल्ली के लोग आतिशबाजी के शौकीन हैं, लेकिन प्रदूषण के कारण इस पर रोक लग गई है।
सीएम ने कहा है कि दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि दीपावली पर प्रमाणित ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति मिले। दिल्ली सरकार पर्यावरण सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रही। सरकार कोर्ट को आश्वस्त करेगी कि न्यायालय के सभी दिशा-निर्देशों और मानकों का पालन होगा। सुनिश्चित करेंगे कि सभी ग्रीन पटाखे अधिकृत संस्थाओं से निर्मित, सरकार की संस्थाओं से प्रमाणित हों। सरकार चाहती है कि दिल्लीवासी साफ, सुरक्षित वातावरण में दीपावली मनाएं।
इसलिए जरूरी हैं ग्रीन पटाखे
मुख्यमंत्री ने कहा, पिछले अनुभवों से पता चलता है कि पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध से अनुकूल परिणाम नहीं मिले हैं। रोक के आदेश के बावजूद चोरी-छिपे प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे प्रयोग में लाए जाते हैं। इससे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर गंभीर हो जाता है। इसलिए सरकार चाहती है कि दिल्ली में ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति प्रदान की जाए।
दिल्ली में पटाखों पर है प्रतिबंध
दिल्ली में हर साल दीपावली के समय वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में पहुंच जाता है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए एनजीटी, पिछली दिल्ली सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री और उपयोग पर अस्थायी रोक लगा दी।
अक्तूबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के सीमित उपयोग की सशर्त अनुमति दी, जिन्हें दीपावली की रात 8 से 10 बजे तक जलाने की अनुमति मिली। पिछली सरकार ने इस आदेश के बाद कहा कि राजधानी में ग्रीन पटाखों की पहचान, प्रमाणन और वितरण की स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसके बाद दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध जारी रहा। इसके बावजूद साल 2019 और 2020 में प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी में रहा।
नवंबर 2020 में एनजीटी ने आदेश पारित किया कि जिन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब या उससे ऊपर है, वहां किसी भी प्रकार के पटाखों का उपयोग नहीं किया जा सकता। साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने ग्रीन पटाखों पर कोई सर्वमान्य रोक नहीं लगाई है। राज्यों को स्थानीय प्रदूषण स्थिति के आधार पर प्रतिबंध लगाने की स्वतंत्रता दी है। पिछली सरकार ने प्रदूषण की गंभीर स्थिति का हवाला देते हुए ग्रीन पटाखों पर प्रतिबंध को उचित ठहराया था।