फ्यूचर एंड ऑप्शन में कम होगी सट्टेबाजी, और सख्त हुए नियम आज से लागू

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी ने फ्यूचर एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) के लिए नियमों को और सख्त कर दिया है। इससे सट्टेबाजी रुकेगी और खुदरा निवेशकों को होने वाले घाटे से बचाने में मदद मिलेगी। अब इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स में हर ट्रेडिंग संस्था के लिए इंट्राडे पोजीशन की सीमा तय कर दी गई है। इससे अनावश्यक जोखिम और बाजार में अस्थिरता को रोका जा सकेगा।

लिंक करने से बाजार में सट्टेबाजी का जोखिम कम होगा
सेबी ने मार्केट-वाइड पोजीशन लिमिट (एमडब्ल्यूपीएल) को कैश मार्केट वॉल्यूम और फ्री-फ्लोट से जोड़ा है। फ्री फ्लोट का 15 फीसदी या पिछले तीन महीनों के एक्सचेंजों के औसत कैश डिलीवरी वॉल्यूम (एडीडीवी) की 65 गुना सीमा होगी। दोनों में से जो कम होगा वही लागू होगा। पहले यह नॉन-प्रमोटर होल्डिंग के 20 फीसदी पर आधारित था। एमडब्ल्यूपीएल को रोलिंग कैश वॉल्यूम आंकड़ों के आधार पर तिमाही रूप से अपडेट किया जाएगा। सेबी को उम्मीद है कि एमडब्ल्यूपीएल को कैश मार्केट से लिंक करने से बाजार में सट्टेबाजी का जोखिम कम हो जाएगा।

इस तरह होगा नया नियम
नेट इंट्राडे पोजीशन सीमा: अब किसी भी संस्था की नेट पोजीशन (फ्यूचर्स-इक्विवेलेंट बेसिस पर) 5,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं हो सकेगी।
ग्रॉस इंट्राडे पोजीशन सीमा: ग्रॉस पोजीशन की सीमा 10,000 करोड़ तय की गई है। यह अभी दिन की समाप्ति की सीमा के बराबर है।

एक्सचेंजों को चार बार करनी होगी निगरानी
स्टॉक एक्सचेंजों को कारोबार के दौरान कम से कम 4 बार रैंडम तरीके से स्नैपशॉट लेकर निगरानी करनी होगी। इनमें से एक स्नैपशॉट अनिवार्य रूप से दोपहर 2:45 बजे से 3:30 बजे के बीच लिया जाएगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि कई बार कारोबार के आखिरी घंटे में भारी गतिविधि देखी जाती है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी निवेशक या ट्रेडर बड़े सौदे कर के बाजार की स्थिरता को प्रभावित न करे। खासकर तब, जब ऑप्शन एक्सपायरी डे पर भारी अस्थिरता देखने को मिलती है। एक्सचेंज को पोजीशन की निगरानी करते समय इंडेक्स के मौजूदा मूल्य को भी ध्यान में रखना होगा, जिससे रियल टाइम जोखिम का सही मूल्यांकन हो सके।

नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई
कोई संस्था सीमा का उल्लंघन करती है, तो स्टॉक एक्सचेंज उसके ट्रेडिंग पैटर्न की जांच करेगा। एक्सपायरी के दिन उल्लंघन करने वालों पर ट्रेडिंग संस्थाओं पर दंड या अतिरिक्त सर्विलांस डिपॉजिट लगाया जा सकता है। इंट्राडे निगरानी के ये नए नियम एक अक्तूबर से लागू होंगे। एक्सपायरी डे के नियमों के उल्लंघन से संबंधित दंड प्रावधान 6 दिसंबर से लागू होंगे।

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