आज यानी 29 सितंबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस शुभ तिथि पर मां कालरात्रि की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कालरात्रि की विधिपूर्वक पूजा करने से देवी साधक की रक्षा करती हैं। साथ ही सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि पर कई शुभ-अशुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में।
तिथि: शुक्ल सप्तमी
मास पूर्णिमांत: अश्विन
दिन: सोमवार
संवत्: 2082
तिथि: सप्तमी दोपहर 04 बजकर 31 मिनट तक
योग: 30 सितंबर को सौभाग्य रात्रि 01 बजकर 01 मिनट तक
करण: वणिज दोपहर 04 बजकर 31 मिनट तक
करण: 30 सितंबर को विष्टि प्रातः 05 बजकर 23 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 13 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 09 मिनट पर
चंद्रमा का उदय: दोपहर 12 बजकर 51 मिनट पर
चन्द्रास्त: शाम 10 बजकर 55 मिनट पर
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: धनु
पक्ष: शुक्ल
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक
अमृत काल: 30 सितंबर रात्रि 11 से 15 मिनट रात्रि 01 बजकर 01 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
राहुकाल: प्रातः 07 बजकर 43 मिनट से प्रातः 09 बजकर 12 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 01 बजकर 41 मिनट से दोपहर 03 बजकर 10 मिनट तक
यमगण्ड: प्रातः 10 बजकर 42 मिनट से प्रातः 12 बजकर 11 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव मूल नक्षत्र में रहेंगे…
मूल नक्षत्र- मूल (पूर्ण रात्रि)
सामान्य विशेषताएं: क्रोधी, स्थिर मन, अनुशासनप्रिय, आक्रामक, गंभीर व्यक्तित्व, उदार, मिलनसार, दानशील, ईमानदार, कानून का पालन करने वाले, अहंकारी और बुद्धिमान
नक्षत्र स्वामी: केतु देव
राशि स्वामी: बृहस्पति देव
देवता: निरति (विनाश की देवी)
प्रतीक: पेड़ की जड़े
सरस्वती अवाहन
सरस्वती अवाहन हिन्दू धर्म में विद्या और ज्ञान की देवी, मां सरस्वती, को आमंत्रित करने की पवित्र प्रक्रिया है। यह विशेष रूप से शिक्षा, कला और संगीत के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए किया जाता है। अवाहन में मंत्रों, स्तोत्रों और मंत्रोच्चार के माध्यम से मां सरस्वती का स्वागत किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।