लखनऊ स्थित होटल ताज में शनिवार को ‘विकसित उत्तर प्रदेश विजन 2047’ के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हिस्सा लिया। इस मौके पर यूपी के विकास और आने वाले समय में प्रदेश के विकास के लक्ष्य पर चर्चा हुई। इस दौरान अपने संबोधन में सीएम योगी ने प्रदेश में कानून व्यवस्था से लेकर एक्सप्रेसवे, मेट्रो और अन्य विकास कार्यों पर अपनी बात रखी। उन्होंने अशांति फैलाने वालों को सख्त लहजे में चेतावनी दी।
बरेली हिंसा पर सीएम की दो टूक
बरेली में देखा होगा वह मौलाना भूल गया कि शासन किसका है। कहता था, धमकी देंगे कि हम शहर जाम कर देंगे। हमने कहा ना तो जाम होगा ना ही कर्फ्यू लगेगा। बल्कि, ऐसा सबक सिखाएंगे की आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी। 2017 से पहले यही होता था। लेकिन अब हमने ऐसे बैरियर को लागू किया। चुन-चुन करके ऐसे लोगों को सबक सिखाया। वह जिस भाषा में समझना चाहते थे, उस भाषा में उन्हें समझाया।
पहले सरकारों ने हर जिले में एक माफिया दे दिया था। जिले की सत्ता माफिया को चलाने की छूट दी गई थी। हर व्यक्ति अपनी पहचान को मोहताज था। खेती-बाड़ी चौपट थी। नौजवानों की नौकरियों पर सेंध लगाती थी। उनकी नीलामी होती थी। चाचा-भतीजा वसूली के लिए निकल पड़ते थे। वसूली का गैंग चलता था। ट्रांसफर और पोस्टिंग में उनके दलाल बोली लगाया करते थे। हमने उनके अनैतिक और अवैध व्यापार पर प्रहार किया है। उनके चेले चिल्लाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि 11वीं सदी में भारत के अंदर भारत की आबादी 60 करोड़ थी। भारत आर्थिक गतिविधियों के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में था। चंद्रगुप्त मौर्य के समय में ग्लोबल इकॉनमी में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी थी। 11वीं सदी आते-आते यह घटकर 30 फीसदी तक रह गई। 17वीं सदी में भारत 25 फीसदी पर सिमट गया। उस समय आधी से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर थी। शेष आबादी लघु और कुटीर उद्योगों में लिप्त थी। भारत में अंग्रेजों ने पेस्टिसाइड और केमिकल भेजें। शुरू में परिणाम अच्छे रहे, लेकिन बाद में बेहद खराब परिणाम आए।
विदेशियों ने भारत को लूटकर अपने आप को समृद्ध किया
अंग्रेज भारत से 32 ट्रिलियन डॉलर के बराबर सोना लूटकर अपने साथ ले गए। विदेशियों ने भारत को लूटकर अपने आप को समृद्ध किया है। अंग्रेजों ने उद्योग धंधों को समाप्त किया। कौन नहीं जानता भारत टेक्सटाइल का हब था। भारत के पास को सब कुछ था, जो दुनिया को चाहिए था। दुनिया का पहला विश्व विश्वविद्यालय तक्षशिला भारत ने दुनिया को दिया। दक्ष भगवान राम के अनुज भरत जी के पुत्र थे। पाणिनि जन्म भी वहीं हुआ। वहीं चरक हुए। जिन्होंने आयुर्वेद के ग्रंथ इसी विश्वविद्यालय में रचे थे।
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