महाराष्ट्र: कोर्ट ने रेलवे के पूर्व कर्मचारी को रिश्वतखोरी के मामले में किया बरी

ठाणे की एक विशेष सीबीआई अदालत ने रेलवे के एक पूर्व प्वाइंटमैन को 18 साल पुराने रिश्वतखोरी के मामले में बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। कोर्ट ने यह फैसला दो दिसंबर को दिया, जिसकी प्रति आज उपलब्ध कराई गई।

विशेष सीबीआई जज डी. एस. देशमुख ने शिवाजी श्रीपत मशाल के खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, कल्याण रेलवे स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन मास्टर ओमप्रकाश तिपन्ना निन्ने ने एक बूट पॉलिश ठेकेदार से हर महीने 1,000 रुपये रिश्वत मांगी थी। ठेकेदार ने सीबीआई को इसकी सूचना दी, जिसके बाद दो मार्च 2007 को सीबीआई ने जाल बिछाया और मशाल को पैसे लेते हुए पकड़ा, जो कथित रूप से निन्ने की ओर से रिश्वत ले रहे थे।

अदालत ने माना कि मशाल के खिलाफ रिश्वत मांगने या लेने का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला। उस दिन मशाल को स्टेशन मास्टर निन्ने के दफ्तर में अस्थायी रूप से तैनात किया गया था क्योंकि नियमित चपरासी छुट्टी पर था। शिकायतकर्ता और निन्ने की मुकदमे में सुनवाई के दौरान मौत हो गई। अदालत ने अभियोजन पक्ष के दो गवाहों से पूछताछ की, लेकिन उनके बयान से मामले को कोई मजबूती नहीं मिली।

जज देशमुख ने यह भी बताया कि खुद सीबीआई ने यह मामला वापस लेने की अर्जी दी थी, क्योंकि मामले में कई समस्याएं थीं। शिकायतकर्ता और मुख्य आरोपी अब जीवित नहीं हैं और न तो शिकायत में और न ही सीबीआई की जांच में मशाल को रिश्वत लेने वाला बताया गया है। जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि मशाल ने (मृतक) स्टेशन मास्टर की ओर से 1,000 रुपये की रिश्वत ली थी।

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