गुजरात: कांग्रेस विधायक की हत्या के दोषी की सजा में छूट की गई रद्द

गोंडल सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक पोपट सोरठिया की 1989 में स्वतंत्रता दिवस पर एक स्कूल में राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय जडेजा ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और टाडा के तहत नियुक्त राजकोट के विशेष न्यायाधीश ने 45 गवाहों के मुकर जाने के बाद जडेजा को बरी कर दिया था।

1989 में कांग्रेस विधायक की हत्या के मामले में टाडा कानून के तहत आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी की रिहाई को गुजरात हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने दोषी को दी गई राहत को अवैध और बिना किसी कानूनी अधिकार वाला बताया है। हाईकोर्ट ने दोषी को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति हसमुख सुथार की पीठ ने गोंडल सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक पोपट सोरठिया की हत्या के लिए टाडा के तहत दोषी अनिरुद्धसिंह जडेजा को दी गई राहत को अवैध करार दिया। जडेजा को 2018 में छूट पर रिहा किया गया था। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कारागार सुधार एवं प्रशासन) टीएस बिष्ट ने बिना किसी अधिकार के जडेजा को माफी का लाभ दिया। उनका आदेश गलत और कानून के विपरीत होने के साथ-साथ अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र की कमी से जुड़ा था।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह आत्मसमर्पण की तारीख से आठ सप्ताह की अवधि के भीतर सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित मापदंडों और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन करते हुए छूट का लाभ देने के लिए उसके मामले पर दोबारा विचार करे।

1989 में हुई थी विधायक की हत्या
गोंडल सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक पोपट सोरठिया की 1989 में स्वतंत्रता दिवस पर एक स्कूल में राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय जडेजा ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी और टाडा के तहत नियुक्त राजकोट के विशेष न्यायाधीश ने 45 गवाहों के मुकर जाने के बाद जडेजा को बरी कर दिया था।

इसके बाद राज्य सरकार ने टाडा की धारा 19 के तहत सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। इसे 10 जुलाई 1997 के एक फैसले द्वारा आंशिक रूप से अनुमति दी गई। जडेजा को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत हत्या के लिए दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

टाडा के तहत भी सुनाई गई थी तीन साल की सजा
उन्हें टाडा के तहत भी दोषी ठहराया गया और तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। इस दौरान जडेजा फरार हो गया और लगभग तीन साल बाद उसे हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद 2017 में जडेजा ने विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक रैलियों का आयोजन करने और उनमें भाग लेने के लिए चिकित्सा उपचार का बहाना बनाकर पैरोल ली।

इसे लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। 25 जनवरी 2017 को राज्य सरकार ने कुछ दोषियों को माफी देने का प्रस्ताव जारी किया। इसमें आजीवन कारावास की सजा काट रहे वे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने 12 वर्ष जेल में पूरे कर लिए थे। उस वक्त जडेजा के मामले पर विचार नहीं किया गया और उन्हें छूट का लाभ नहीं दिया गया।

एडीजीपी जेल प्रशासन ने दी थी माफी
जडेजा के बेटे ने 29 जनवरी 2018 को तत्कालीन एडीजीपी (जेल और प्रशासनिक सुधार) को आवेदन दिया। एडीजीपी ने उसी दिन जूनागढ़ जिला जेल के अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह उसे 18 साल की सजा पूरी करने का कारण बताते हुए जडेजा को छूट दे। इसके बाद जडेजा की अवैध रिहाई को दो याचिकाओं के जरिये चुनौती दी गई, जिनमें से एक को अभियोजन के अभाव में खारिज कर दिया गया और दूसरी को वापस ले लिया गया। 2018 में उनकी रिहाई के बाद से, जडेजा के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गईं, और यहां तक कि 2024 में सुप्रीम कोर्ट में उनकी समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका भी हाईकोर्ट में नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता के साथ वापस ले ली गई।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com