किडनी हमारे शरीर से टॉक्सिन्स फिल्टर करने का काम करती है। लेकिन अगर ये ठीक से काम करना बंद कर दे तो ये टॉक्सिन्स शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। हालांकि इसका पता अलग पहले लग जाए तो किडनी डैमेज को रोका जा सकता है। इसके कुछ लक्षण (Kidney Damage Signs) स्किन पर भी नजर आते हैं जिनकी मदद से इसका पता लगाया जा सकता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हमारी खराब लाइफस्टाइल और डाइट के कारण किडनी को काफी नुकसान होता है। अगर इस ओर ध्यान न दिया जाए, तो कई बार यह समस्या बढ़ जाती है और किडनी डैमेज (Kidney Damage) होने लगती है। अगर किडनी डैमेज के लक्षणों को शुरुआत में ही पहचान कर इलाज न करवाया जाए, तो किडनी फेलियर भी हो सकता है।
किडनी डैमेज होने के कुछ लक्षण (Kidney Damage Sign on Skin) स्किन पर भी दिखाई देते हैं। जी हां, अगर आपकी त्वचा पर आपको कुछ असामान्य बदलाव नजर आएं, तो इग्नोर करने की गलती बिल्कुल न करें। आइए जानें किडनी डैमेज होने पर स्किन पर कैसे लक्षण नजर आते हैं।
बेहद ड्राई स्किन
किडनी खराब होने पर शरीर से टॉक्सिन्स ठीक से नहीं निकल पाते, जिससे त्वचा में खुजली और रूखापन होने लगता है। इसे यूरेमिक प्रुरिटस भी कहते हैं। यह खुजली इतनी तेज हो सकती है कि रात को नींद भी खराब हो जाए।
खरोंच के निशान
लगातार खुजलाने से त्वचा पर खरोंच के निशान पड़ जाते हैं। कई बार त्वचा लाल होकर घाव में भी बदल सकती है, जिससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
त्वचा का रंग बदलना
किडनी की बीमारी में त्वचा का रंग पीला या भूरा हो सकता है। कुछ मामलों में त्वचा पर काले या सफेद धब्बे भी दिखाई देते हैं, जो शरीर में टॉक्सिन्स के जमा होने के कारण होते हैं।
सूजन
किडनी डैमेज होने पर शरीर में सोडियम और पानी जमा होने लगता है, जिससे पैरों, हाथों और चेहरे पर सूजन आ जाती है। इसे एडिमा कहते हैं।
रैशेज
किडनी फेलियर के कारण शरीर में यूरिक एसिड और अन्य टॉक्सिन्स बढ़ जाते हैं, जिससे त्वचा पर रैशेज हो सकते हैं। ये रैशेज खुजली के साथ भी हो सकते हैं।
छाले
कुछ गंभीर मामलों में त्वचा पर छाले भी पड़ सकते हैं, जो फ्लूइड से भरे होते हैं। यह समस्या कैल्सीफिलैक्सिस कंडीशन के कारण होती है, जो किडनी फेलियर के मरीजों में देखी जाती है।
त्वचा का टाइट होना
किडनी डिजीज की वजह से त्वचा में इलास्टिसिटी कम हो जाती है और त्वचा इतनी टाइट हो सकती है कि उसे चुटकी में नहीं उठाया जा सकता। यह लक्षण शरीर में पानी और मिनरल्स के इंबैलेंस के कारण होता है।
स्किन के नीचे कैल्शियम जमा होना
जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट का लेवल बिगड़ जाता है। इससे त्वचा के नीचे सफेद या पीले रंग के हार्ड डिपॉजिट बन सकते हैं, जिन्हें कैल्सीफिकेशन कहते हैं।