प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने खोली दिल्ली में स्वच्छ पेयजल की पोल

जनकपुरी आरडब्ल्यूए ए-1 ब्लॉक में दूषित पेयजल की आपूर्ति के मामले में सीपीसीबी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में रिपोर्ट दाखिल की है।

राजधानी में जहां दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की तरफ से हर घर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के तमाम दावे किए जाते हैं वहीं उनकी जमीनी हकीकत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने खोलकर रख दी है। जनकपुरी आरडब्ल्यूए ए-1 ब्लॉक में दूषित पेयजल की आपूर्ति के मामले में सीपीसीबी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में रिपोर्ट दाखिल की है।

रिपोर्ट में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पानी में टोटल कोलीफॉर्म (टीसी) और ई-कोलाई बैक्टीरिया की मौजूदगी का ठप्पा लगाया है। एनजीटी में दाखिल अपनी हालिया रिपोर्ट में सीपीसीबी ने बताया है कि जनकपुरी के ए-1 ब्लॉक के 12 घरों से डीजेबी की तरफ से आपूर्ति किए गए नल के पानी के नमूनों के जीवाणु संबंधी मापदंडों की जांच की। इन एकत्रित नमूनों का टीसी, फीकल कोलीफॉर्म (एफसी) और ई-कोलाई और मुक्त अवशिष्ट क्लोरीन का विश्लेषण किया गया। इसमें सीपीसीबी ने पाया कि छह नमूनों में टोटल कोलीफॉर्म और ई-कोलाई नहीं पाए गए।

वहीं, तीन नमूनों में टीसी पाए गए लेकिन इनका मान न्यूनतम पता लगाने की सीमा के करीब रहा और ई-कोलाई नहीं मिला। साथ ही दो नमूनों में टीसी पाए गए हैं लेकिन एक में ई-कोलाई नहीं मिला और दूसरे में पाया गया लेकिन ई-कोलाई का मान न्यूनतम पता लगाने की सीमा के करीब रहा। इसके अलावा एक नमूने में टोटल कोलीफॉर्म और ई-कोलाई दोनों ही पता लगाने की सीमा से ऊपर पाए गए हैं।

30 जून से पहले एकत्र नमूनों की जांच में बैक्टीरिया
रिपोर्ट में सीपीसीबी ने बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो के पेयजल मानक-आईएस निर्धारित करते हैं कि 100 मिलीलीटर पेयजल के नमूनों में कुल कोलीफॉर्म और ई-कोलाई नहीं पाया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, 16 जुलाई के एनजीटी के आदेश के पालन में सीपीसीबी ने 20 जुलाई को 12 घरों से डीजेबी की तरफ से आपूर्ति किए जाने वाले जल के नमूने एकत्र किए। इनमें पांच घर ऐसे थे जहां 30 जून से पहले एकत्र किए गए नमूनों की जांच के परिणामों में टोटल कोलीफॉर्म और ई-कोलाई पाया गया था। इसके अलावा जनकपुरी के ए-1 ब्लॉक के अन्य घरों से सात नमूने एकत्र किए गए। जनकपुरी के ए-1/130 द्वितीय तल वाले घर से नमूने एकत्र नहीं किए जा सके क्योंकि मालिक ने फिर से नमूना लेने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था।

हेपेटाइटिस ए और ई से पीड़ित था एक निवासी : इससे पहले आवेदक ने दलील दी थी कि 29 अप्रैल को सीपीसीबी की ओर से लिए गए नमूने डीजेबी के एक दिन पहले उठाए गए कदमों के कारण उचित परिणाम नहीं देंगे। इसके लिए उनकी ओर से तर्क दिया गया कि नमूने लेने से पहले सीपीसीबी ने डीजेबी के अधिकारियों को सूचित कर दिया था।

आवेदक के वकील ने आरोप लगाया कि 27-28 अप्रैल को डीजेबी के अधिकारियों ने परीक्षण के परिणामों में पानी की गुणवत्ता में हेरफेर करने, सीवर लोड को कृत्रिम रूप से कम करने और क्रॉस संदूषण को अस्थायी रूप से दबाने के लिए सुपर सक्शन मशीन लगाकर गाद निकालने का काम किया था। ऐसे में ये नमूने सही स्थिति को नहीं दर्शा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्र के एक निवासी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और जांच रिपोर्ट में पाया गया कि वह हेपेटाइटिस ए और ई से पीड़ित था।

डीजेबी के एक अधिकारी ने किया स्वीकार-नमूना अयोग्य
सीपीसीबी के वकील ने अदालत को बताया था कि नमूना विश्लेषण रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। लोगों के लिए अनुपयुक्त पेयजल की आपूर्ति बहुत गंभीर मामला है लेकिन इतनी गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए डीजेबी ने कार्रवाई नहीं की। आवेदक ने पेन ड्राइव में मौजूद उक्त वीडियो सुनवाई के दौरान खुली अदालत में चलाया था जिसमें नमूना लेने वाले डीजेबी के एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि नमूना अयोग्य था।

यह है मामला
जनकपुरी स्थित रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में डीजेबी लोगों को सीवेज मिश्रित पेयजल की आपूर्ति कर रहा है। यह आरोप आवेदक ए-1 ब्लॉक की आरडब्ल्यूए ने एनजीटी में दायर अपनी याचिका में लगाया है। आरोप लगाया है कि क्षेत्र में सीवेज लाइन जाम हो गई है। इस कारण ताजा पानी की आपूर्ति करने वाली पाइपलाइन में जंग लग गया है। ऐसे में अनुपचारित सीवेज पाइपलाइनों के माध्यम से आपूर्ति किए जाने वाले पेयजल में मिल रहा है।

स्वास्थ्य के लिए पैदा हो सकता है खतरा
डॉक्टरों के अनुसार, पानी में फीकल और टोटल कोलीफॉर्म या ई-कोलाई की मौजूदगी स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती है। इन बैक्टीरिया से दूषित पानी पीने से दस्त, पेट में ऐंठन और मतली जैसी पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। डॉक्टरों की मानें तो यह ध्यान रखना जरूरी है कि लक्षण व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली और मौजूद बैक्टीरिया के विशिष्ट प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।

कुछ मामलों में विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में ये संक्रमण गंभीर और जानलेवा भी हो सकते हैं। वहीं, कुछ प्रकार के ई-कोलाई ओ157:एच7 गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं जिनमें हेमरेजिक कोलाइटिस और हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम शामिल हैं।

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