18 सितंबर की रात नौ बजे यह घटना बताई गई थी। पुलकित ने कहा था कि अंकिता के साथ वह नहर की पटरी पर खड़े होकर बात कर रहा था।
अंकिता हत्याकांड पर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। तीनों आरोपियों पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित को उम्रकैद की सजा हुई। अंकिता को न्याय दिलाने में चांद की गति से भी उस काली रात के राज से पर्दे उठे थे। पुलकित ने दावा किया था कि उसने और उसके साथियों ने अंकिता को बचाने का प्रयास किया।
क्योंकि, उस रात करीब नौ बजे काफी प्राकृतिक रोशनी थी। मगर, केंद्रीय वेधशाला कोलकाता की रिपोर्ट में पता चला कि उस वक्त उस स्थान पर चांद निकला ही 11 बजे था। ऐसे में इस रिपोर्ट में भी पुलकित के झूठ की कहानी से पर्दा उठा था।
अभियोजन की ओर से इस सबूत को साक्ष्य नंबर 123 के रूप में अदालत में पेश किया गया। यह कोलकाता वेधशाला से मिला एक ई-मेल था। दरअसल, 18 सितंबर की रात नौ बजे यह घटना बताई गई थी। पुलकित ने कहा था कि अंकिता के साथ वह नहर की पटरी पर खड़े होकर बात कर रहा था।
इसी बीच अंकिता ने उसका मोबाइल हाथ से लेकर पानी में फेंक दिया। इसी बीच अंकिता भी दुर्घटना के चलते नहर में जा गिरी। पुलिस को दिए बयानों में पुलकित ने कहा था कि उस रात नौ बजे प्राकृतिक रोशनी खूब थी।
उन्हें अच्छा खासा दिखाई दे रहा था। यानी उस वक्त चांद की रोशनी थी। शुरुआत में ही पुलिस ने पाया कि वह रात कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात थी। ऐसे में चांद की रोशनी होती भी है तो बेहद कम होती है।
ऐसे में इस बात की पुष्टि करने के लिए पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 91 के तहत इसका जवाब पाने के लिए कोलकाता वेधशाला को ई-मेल किया। इसका जवाब आया तो पता चला कि जिस स्थान की बात है, वहां चांद घटना के दो घंटे बाद यानी 11 बजे निकला था। यानी यह संभव ही नहीं कि वहां पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी हो। लिहाजा, पुलकित और उसके साथियों का झूठ उस रात चांद की गति ने भी पकड़ लिया।
 Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
 
		
 
 
						
 
						
 
						
 
						
 
						
