वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2025) किया जाता है। इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं की अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। पूजा के दौरान पेड़ पर सुहागिन महिलाएं कच्चा सूत बांधती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कच्चा सूत कितनी बार बांधना चाहिए और क्यों बांधा जाता है। अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए हम आपको बताएंगे इसके बारे में विस्तार से।
वट सावित्री व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को 12 बजकर 11 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 27 मई को सुबह 08 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में 26 मई को वट सावित्री व्रत किया जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर से 58 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
बरगद के पेड़ पर कच्चा सूत बांधने का महत्व
वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की पूजा न करने से व्रत अधूरा माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत के शुभ अवसर पर बरगद के पेड़ की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन बरगद के पेड़ की परिक्रमा के दौरान कच्चा सूत बांधना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत की पूजा के दौरान बरगद के पेड़ पर सात बार कच्चा सूत बांधने से पति-पत्नी का रिश्ते मजबूत होते हैं। साथ ही वैवाहिक जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं। इसके अलावा पति-पत्नी के रिश्ते सात जन्मों तक बने रहते हैं।
वट सावित्री व्रत के दिन इन बातों का रखें ध्यान
वट सावित्री व्रत के दौरान किसी के बारे में गलत न सोचे
किसी से वाद-विवाद न करें।
काले कपड़े न पहनें।