मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच जल प्रबंधन और अंतर्राज्यीय सहयोग को नया आयाम देने जा रही “ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना” पर आज हस्ताक्षर होंगे। इस अवसर पर “मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल” की 28वीं बैठक दोपहर 3 बजे मंत्रालय वल्लभ भवन में आयोजित की जाएगी, जिसमें मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित रहेंगे।
मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र अंतर्राज्यीय नियंत्रण मंडल” की 28वीं बैठक शनिवार दोपहर 3 बजे वल्लभ भवन में आयोजित होगी। बैठक में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शामिल होंगे। इसी बैठक में विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड वाटर रीचार्ज परियोजना “ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज योजना” के एमओयू पर दोनों राज्य सरकारों के बीच हस्ताक्षर किए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जानकारी दी कि इस परियोजना को राष्ट्रीय जल परियोजना घोषित कराने के लिए केन्द्र सरकार से बातचीत की जाएगी। साथ ही नागपुर जैसे प्रमुख शहरों में पेयजल आपूर्ति और छिंदवाड़ा जिले में सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाने में यह परियोजना सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे मध्यप्रदेश के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहले से चल रही केन-बेतवा लिंक परियोजना और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के बाद यह प्रदेश की तीसरी प्रमुख अंतर्राज्यीय नदी परियोजना होगी। ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना के माध्यम से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र मिलकर ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाकर जल उपयोग की प्रभावशीलता बढ़ाएंगे और कृषि भूमि को सिंचित करेंगे।
अब पुनर्वास की नहीं होगी आवश्यकता
यह परियोजना कुल 31.13 टीएमसी जल की क्षमता पर आधारित है, जिसमें से 11.76 टीएमसी जल मध्यप्रदेश और 19.36 टीएमसी जल महाराष्ट्र को मिलेगा। मध्यप्रदेश में 3,362 हैक्टेयर भूमि परियोजना संरचनाओं के लिए उपयोग में लाई जाएगी, जबकि कोई गांव प्रभावित नहीं होगा और पुनर्वास की आवश्यकता नहीं होगी। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के 1,23,082 हैक्टेयर और महाराष्ट्र के 2,34,706 हैक्टेयर क्षेत्र में स्थायी सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
मध्यप्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा जिलों की बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा तहसीलों को सीधे लाभ होगा। इस योजना के पहले चरण में 66 टीएमसी जल भराव क्षमता वाला पारंपरिक बांध प्रस्तावित था, जिससे वन भूमि, बाघ अभ्यारण और 73 गांवों की लगभग 14,000 जनसंख्या प्रभावित हो रही थी। अब इस प्रस्ताव को संशोधित कर भूजल पुनर्भरण आधारित संरचना तैयार की गई है, जिससे पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव न्यूनतम रहेंगे।
यह 4 जल संरचनाएं प्रस्तावित
खरिया गुटीघाट बांध स्थल पर लो डायवर्सन वियर :- यह वियर दोनों राज्यों की सीमा पर मध्यप्रदेश की खंडवा जिले की खालवा तहसील एवं महाराष्ट्र की अमरावती तहसील में प्रस्तावित है. इसकी जल भराव क्षमता 8.31 टीएमसी प्रस्तावित है।
दाई तट नहर प्रथम चरण :- प्रस्तावित खरिया गुटीघाट वियर क़े दाएं तट से 221 किलोमीटर लंबी नहर प्रस्तावित है, जो मध्यप्रदेश में 110 किलोमीटर बनेगी. इस नहर से मध्यप्रदेश के 55 हज़ार 89 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।
बाई तट नहर प्रथम चरण :- प्रस्तावित खरिया गुटीघाट वियर के बाएं तट से 135.64 किलोमीटर लंबी नहर प्रस्तावित है जो मध्यप्रदेश में 100.42 किलोमीटर बनेगी। इस नहर से मध्यप्रदेश के 44 हज़ार 993 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है।
बाईं तट नहर द्वितीय चरण :- यह नहर बाईं तट नहर प्रथम चरण के आर डी 90.89 किलोमीटर से 14 किलोमीटर लम्बी टनल के माध्यम से प्रवाहित होगी। इसकी लंबाई 123.97 किलोमीटर होगी, जिससे केवल महाराष्ट्र के 80 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है।