प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तरकाशी जनपद का एक दिवसीय दौरा कई मायनों में यादगार होगा। वे देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो भारत-तिब्बत सीमा से जुड़े उत्तराखंड के चमोली और पिथौरागढ़ सीमावर्ती जिलों के बाद अब उत्तरकाशी के मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज होगा। वो देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो गंगा के शीतकालीन पूजा स्थल पहुंचेंगे।
प्रधानमंत्री पिछले दो सालों में चमोली जनपद के पहले गांव माणा, पिथौरागढ़ जनपद के सीमावर्ती गांव गुंजी के बाद अब उत्तरकाशी जिले के अंतिम आबादी गांव मुखबा और हर्षिल पहुंच रहे हैं। उनके दौरे से सीमावर्ती गांवों के विकास के साथ ही ग्रामीणों की सालों पुरानी मांगों के पूरा होने की उम्मीद भी जगी है।
वहीं चमोली जिला प्रशासन ने माणा गांव के ग्रामीणों की सीमा दर्शन की मांग को आगे बढ़ाते हुए एक दिन में देवताल जाने के लिए 100 यात्रियों को ऑनलाइन परमिट जारी करने की बात कही है। यदि केंद्र सरकार पिथौरागढ़ के साथ ही चमोली जनपद माणा और नीति घाटी के साथ उत्तरकाशी के सीमांत गांव जादूंग से कैलाश मानसरोवर की यात्रा शुरू करती है, तो यात्रा की दूरी कम होने के साथ ही यहां के लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी।
माणा गांव के प्रधान प्रशासक पीतांबर मोल्फा बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्तूबर 2022 में माणा गांव आए तो ग्रामीणों ने उनके समक्ष इस मांग को प्रमुखता से रखा था। वह कहते हैं कि माणा और नीति घाटी से कैलाश मानसरोवर की यात्रा कम समय में सरल और सुगम तरीके से की जा सकती है। इस मार्ग के अधिकांश हिस्से में सीमा को जोड़ने वाली सड़क बनाकर तैयार हो गई है। मार्ग खुलने से पूरे क्षेत्र में तीर्थाटन और पर्यटन गतिविधि बढ़ेगी। उनकी सीमा दर्शन की अनुमति दिये जाने की भी मांग पर पहल हुई।
पहले थे आखिरी गांव, अब हैं पहले स्थान पर
भारत तिब्बत सीमा से सटे उत्तराखंड के सीमावर्ती गांव हैं माणा, कोपांग और गुंजी। पहले इन सभी सीमावर्ती गांवों को देश का अंतिम गांव कहा जाता था, लेकिन अब ये देश के पहले गांव के रूप में पहचाने जाते हैं। केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत इन सीमांत गांवों का चयन किया गया है। ये सीमा से जुड़े गांव धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
भारत का तिब्बत से था सीधा व्यापारिक संबंध
वर्ष 1962 में भारत चीन युद्ध से पहले यहां के ग्रामीणों का तिब्बत से सीधा व्यापारिक संबंध था। इसके अलावा चमोली जनपद की नीति माणा, उत्तरकाशी जिले के कोपांग, जादूंग और पिथौरागढ़ जिले के गुंजी गांवों से तिब्बत और मानसरोवर यात्रा की जाती थी। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद पिछले छह दशकों से अधिक समय से व्यापार और कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद है। हालांकि वर्ष 1976 में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की गई, लेकिन फिर कोविडकाल और बाद में चीन से संबंधों में तल्खी के बाद यह यात्रा बंद है। पिछले दिनों केंद्रीय विदेश मंत्री की चीन के विदेश मंत्री से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने को लेकर हुई वार्ता से उम्मीद के पंख लगे हैं। इधर जिला प्रशासन चमोली की सीमा दर्शन की शुरूआती कवायद से स्थानीय लोगों में खुशी है।