सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना ने परिवर्तन के दशक की रूपरेखा तैयार कर ली है। इस परिवर्तन का उद्देश्य सेना की परिचालन एवं प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाना है।
थलसेना अध्यक्ष बुधवार को पुणे में 77वें सेना दिवस परेड के अवसर पर जवानों को संबोधित कर रहे थे। 2023 से थलसेना ने सेना दिवस परेड एवं उससे जुड़े अन्य कार्यक्रमों को दिल्ली से बाहर अन्य शहरों में आयोजित करने की शुरुआत की है। इस अवसर पर बोलते हुए जनरल मनोज पांडे ने सेना की प्रशंसा करते हुए कहा कि सेना के प्रयासों के कारण ही अति संवेदनशील माने जाने वाले जम्मू-कश्मीर के भीतरी क्षेत्रों में हिंसा में काफी कमी आई है।
पिछले साल वहां संसदीय एवं विधानसभा चुनाव के साथ ही अमरनाथ यात्रा भी शांतिपूर्वक संपन्न कराने में सफलता मिली है। इसके अलावा कई अन्य प्रांतों में भी सेना के प्रयासों से शांति स्थापित करने में मदद मिल रही है।
आर्मी चीफ ने बताई सेना की भविष्य की योजना
थलसेना प्रमुख ने सेना की भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि आज हमारा देश एक नए युग की कगार पर खड़ा है। एक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें एक स्थिर एवं सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता है। इसे अंजाम देने में भी भारतीय सेना प्रमुख भूमिका निभा रही है। इसी दृष्टि से भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना ने परिवर्तन के दशक (डिकेड आफ ट्रांसफार्मेशन) की व्यापक रूपरेखा तैयार कर ली है।
इस परिवर्तन का उद्देश्य हमारी परिचालन एवं प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाना होगा। इसके साथ ही सेना ने वर्ष 2025 को सुधारों एवं तकनीक अपनाने के वर्ष के रूप में भी ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है। इससे सेना को आधुनिक, नई तकनीक से युक्त एवं भविष्य के लिए सक्षम सुरक्षा बल बनाने में मदद मिलेगी।