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बता दें कि शुक्रवार को आतंकियों को मारने के लिए सुरक्षा बलों ने तीन मकानों को आईईडी लगाकर उड़ा दिया। इस दौरान आतंकियों के समर्थक उन्हें भगाने के लिए सुरक्षा बलों पर पथराव करने लगे। हिंसक हो उठी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए की गई फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। हालात बिगड़ते देख घाटी में मोबाइल इंटरनेट सेवा ठप कर दी गई। बनिहाल- बडगाम के बीच रेल सेवा भी स्थगित कर दी गई।
अनंतनाग जिले के अरवानी गांव के ईदगाह मोहल्ला में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर सुरक्षा बलों ने सुबह आठ बजे से इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी। घेरा सख्त होते देख मट्टू और उसके साथियों ने सुबह 10 बजे सुरक्षा बलों पर फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने इसका माकूल जवाब दिया। पांच घंटे से अधिक समय तक चली मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने लश्कर कमांडर जुनैद मट्टू समेत तीन आतंकियों को मार गिराने में सफलता हासिल की। जिस समय सेना द्वारा मलबे में शवों की तलाश की जा रही थी तभी अचानक कुछ राउंड फायरिंग हुई। माना जा रहा है कि आतंकियों का एक और दल सुरक्षा घेरे के बाहर से फायरिंग कर मौके से भाग निकला।
भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले तो आंसू गैस के गोले दागे गए। पैलेट गन का भी इस्तेमाल किया गया। इसके बाद भी भीड़ नहीं हटी तो सुरक्षा बलों को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। इसमें खारपोरा अरवानी का 34 वर्षीय मोहम्मद अशरफ खार और शमसीपोरा का 14 वर्षीय ईशान अहमद गंभीर रूप से घायल हो गया। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। दर्जनभर अन्य लोग भी जख्मी हुए हैं।
दक्षिण कश्मीर में लश्कर-ए-ताइबा का चीफ जुनैद मट्टू कुलगाम के खुदवानी गांव का रहने वाला था। वह ए++ श्रेणी का आतंकी था। उसे नई भर्ती की जिम्मेदारी दी गई थी। वह 3 जून, 2015 को आतंकी संगठन में भर्ती हुआ था। काफी पढ़ा-लिखा होने के कारण वह आईटी में माहिर था।
मट्टू पहली बार तब सुर्खियों में आया था, जब पिछले साल जून में आतंकियों के गुट ने अनंतनाग में पुलिस स्टेशन पर हमला किया था। पिछले साल जून में ही वह बीएसएफ की बस पर हुए हमले में भी शामिल था। मट्टू ने जून 2016 में अनंतनाग में बस स्टैंड पर दिनदहाड़े दो पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस दौरान वह सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। सेना द्वारा हाल ही में जारी 12 खूंखार आतंकियों की सचित्र सूची में मट्टू भी शामिल था।