शिक्षा विभाग में हर साल शिक्षक और कर्मचारी सुविधाजनक क्षेत्र में बने रहने के लिए पदोन्नति छोड़ रहे हैं, लेकिन अब शिक्षकों एवं अन्य विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों ने पदोन्नति छोड़ी तो अगले पात्र को इसका लाभ मिलेगा। वहीं, इससे विभागाें में प्रभारी व्यवस्था में कमी आएगी।
प्रदेश में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर चार ऐसे जिले हैं। जिनमें कार्यरत शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारी कई बार पदोन्नति छोड़ रहे हैं। हालांकि, कुछ अन्य जिलों में भी इस तरह के मामले हैं। सुविधाजनक जगह के लिए पदोन्नति छोड़ने से लगातार तीन साल तक पद खाली बना रहता है।
शिक्षा विभाग में इस साल भी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक से प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक के पदों पर पदोन्नति की गई थी। जिला स्तर से होने वाली इन पदोन्नतियों के बाद कुछ शिक्षकों ने पदोन्नति छोड़ दी।
शिक्षक, कर्मचारियों के पदोन्नति छोड़ने के पीछे वजह
अखिल भारयीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल के मुताबिक, शिक्षा विभाग में शिक्षकों के पदोन्नति छोड़ने की एक वजह यह है कि विभाग में शिक्षकों की तय समय पर पदोन्नति नहीं हो रही। जब उनकी पदोन्नति होती है, उससे पहले ही शिक्षक बिना पदोन्नत हुए पदोन्नति के वेतनमान के स्तर तक पहुंच जाता है।
पदोन्नति होने से उसे वित्तीय लाभ तो नहीं होता, लेकिन नुकसान जरूर हो जाता है। देहरादून के शिक्षकों को देहरादून में तैनाती पर जो गृहकर मिलता है, पदोन्नति के बाद चकराता, कालसी या फिर किसी अन्य दुर्गम क्षेत्र में भेजा जाता हैं। जहां उसे गृहकर कम मिलने लगता है। यही वजह है शिक्षक, कर्मचारी पदोन्नति छोड़ रहे हैं।
कार्मिक विभाग के अपर सचिव ललित मोहन रयाल बताते हैं कि राज्याधीन सेवाओं में पदोन्नति का परित्याग नियमावली 2024 में बदलाव किया जा चुका है। इसके बाद पदोन्नति छोड़ने वाले शिक्षक व कर्मचारी के स्थान पर चयन सूची में अगले पात्र कर्मचारी को पदोन्नति दी जाएगी। सभी विभागों में यह व्यवस्था लागू होगी।
पदभार संभालने के लिए मिलेगा 15 दिन का समय
शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी को पदोन्नति के पद पर पदभार संभालने के लिए मात्र 15 दिन का समय दिया जाएगा। यदि उसने पदोन्नति छोड़ी तो उससे इसके लिए शपथपत्र लिया जाएगा। जिसकी पदोन्नति पर फिर विचार नहीं किया जाएगा।
पहले कोई कर्मचारी तीन बार पदोन्नति छोड़ सकता था, इससे जगह खाली रह जाती थी। वहीं कार्यवाहक व्यवस्था से काम प्रभावित हो रहे थे। -ललित मोहन रयाल, अपर सचिव कार्मिक विभाग
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