मान्यता है कि लाभ पंचमी के दिन की गई पूजा से साधक को व्यवसाय आदि में लाभ देखने को मिलता है, और सौभाग्य की वृद्धि होती है। साथ ही इस दिन को किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन को लाभ पंचमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन खासतौर पर धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं लाभ पंचमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
लाभ पंचमी शुभ मुहूर्त (Labh Panchami Puja Muhurat)
कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 06 नवंबर को मध्य रात्रि 12 बजकर 16 मिटन पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 07 नवंबर को मध्य रात्रि 12 बजकर 41 मिनट पर होगा। इस प्रकार लाभ पंचमी बुधवार, 06 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है –
प्रातः काल लाभ पंचमी पूजा मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 37 मिनट से सुबह 10 बजकर 15 मिनट तक
लाभ पंचमी पूजा विधि
- लाभ पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश, शिव जी और देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।
- पूजा में मिठाई और फल आदि अर्पित करें।
- गणेश जी को चंदन, सिंदूर, फूल और दूर्वा अर्पित करें।
- भगवान शिव को बिल्व पत्र, धतूरे के फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करें।
- लक्ष्मी जी को हलवा और पूड़ी का भोग लगाएं।
- अंत में आरती करते हुए मां लक्ष्मी से समृद्धि और सफलता के लिए प्रार्थना करें।
क्या है मान्यता
लाभ पंचमी के अवसर पर व्यवसायी लोग अपने बहीखाता और लेखा-जोखा का पूजन करते हैं। नए बहीखाता पर खाता पर शुभ-लाभ और स्वस्तिक बनाकर उनका उद्घाटन किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से आगामी वर्ष में व्यापार में वृद्धि के योग बनते हैं। साथ ही इस दिन कई साधक सुख-समृद्धि और मंगलकामना के लिए व्रत भी रखते हैं।