निम्न आय वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए त्योहारों का आनंद महंगा होता जा रहा है, क्योंकि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। त्योहार के दौरान कमाई का अधिक हिस्सा खाने-पीने पर ही खर्च हो जा रहा है। बढ़ती महंगाई के कारण, कई लोग आवश्यक सामान की खरीदारी को टाल रहे हैं, जिसका असर फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) पर भी पड़ सकता है।
त्योहारों के दौरान आमतौर पर आलू, प्याज, टमाटर, घी और तेल जैसी वस्तुओं का अधिक इस्तेमाल होता है लेकिन इनकी कीमतें पिछले साल की तुलना में 10% से अधिक बढ़ चुकी हैं। सब्जियों की कीमतें तो 36% तक ऊंची हो गई हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में खाद्य वस्तुओं की खुदरा महंगाई दर 9.24% तक पहुंच गई है, जो पिछले साल सितंबर की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है। अगस्त में यह दर 5.66% थी।
महंगाई से उपभोक्ता परेशान
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अक्टूबर में खाद्य तेल की खुदरा कीमतों में वर्ष 2022 अक्टूबर की तुलना में 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इस साल सितंबर में खाद्य तेल की कीमतें 2.5 प्रतिशत बढ़ी हुई है। दाल की कीमतें लगातार बढ़ रही है और पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। दाल के दाम में पिछले साल अक्टूबर में ही 15 प्रतिशत से अधिक की तेजी थी।
जानकारों का कहना है कि देश में 60 प्रतिशत से अधिक लोग प्रतिमाह सिर्फ 10-30 हजार रुपए तक कमाते हैं। ऐसे में त्योहार के दौरान उनकी कमाई का अधिक हिस्सा खाने-पीने पर ही खर्च हो जा रहा है।
प्याज की थोक कीमतें: 2000 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि
सरकारी साइट AGMARKNET के अनुसार, इस साल प्याज की थोक कीमतें पिछले साल की तुलना में 2000 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ गई हैं। आलू की थोक कीमत में 400 रुपए और टमाटर की कीमत में 5600 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है।
इसके अलावा, दालों की थोक कीमतों में भी पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले इस साल अक्टूबर में 10% की वृद्धि दर्ज की गई है। विभिन्न प्रकार के गेहूं की औसत थोक कीमतों में अक्टूबर में 11-17% की बढ़ोतरी देखी जा रही है। त्योहारों के दौरान सरसों का तेल और घी का भी अधिक इस्तेमाल होता है और इन दोनों की कीमतें भी ऊंची बनी हुई हैं।