नाबार्ड के प्रोजेक्टों में विभागों की हीलाहवाली से मुख्य सचिव नाराज दिखीं। वहीं बैठक में विद्यालयी शिक्षा की गैरमौजूदगी पर उन्होंने स्पष्टीकरण के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने नाबार्ड की ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) के तहत स्वीकृत प्रोजेक्टों पर कार्रवाई के मामले में विभागों की हीलाहवाली पर गहरी नाराजगी जाहिर की है।
विभागों के लिए दूसरी तिमाही तक योजनाओं के तहत 768.60 करोड़ रुपये के ऋण का लक्ष्य था, लेकिन 24.80 फीसदी की अदायगी हो पाई। मुख्य सचिव ने वित्त विभाग से ऋण अदायगी में तेजी लाने और वित्त विभाग से इस संबंध में सभी प्रोजेक्टों की एक सप्ताह में समीक्षा रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।
उन्होंने बैठक में विद्यालयी शिक्षा की अनुपस्थिति पर विभाग से स्पष्टीकरण लेने को भी कहा। सचिवालय में आयोजित नाबार्ड की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में स्वीकृत प्रस्तावों के लक्ष्य से कम ऋण वितरण पर उन्होंने विभागों को इसे बेहद गंभीरता लेने की हिदायत दी।
कहा, लक्ष्य के सापेक्ष ऋण वितरण और उसकी अदायगी होनी चाहिए। बैठक में अपर सचिव वित्त ने बताया, उच्चाधिकार समिति ने 1162 करोड़ के सापेक्ष 1098 करोड़ ऋण अदायगी का लक्ष्य रखा है। अभी तक लक्ष्य के सापेक्ष विभागों ने मात्र 232.28 करोड़ की अदायगी की।
ऋण अदायगी की प्रगति संतोषजनक नहीं
इस पर सीएस ने कहा, स्वीकृत प्रस्तावों के सापेक्ष विभागों द्वारा ऋण अदायगी की प्रगति संतोषजनक नहीं है। सभी विभागों को इसमें तेजी लाने की आवश्यकता है। अच्छे प्रस्ताव लगातार तैयार कर वित्त को भेजे जाने के साथ ही डीपीआर नाबार्ड को भी भेज दी जाए, ताकि समय पर नाबार्ड की भी संस्तुति मिल सके। उन्होंने विभागों के सचिवों एवं विभागाध्यक्षों को ऋण वितरण एवं अदायगियों में तेजी लाने के लिए साप्ताहिक समीक्षा करने के निर्देश दिए।
नाबार्ड किसानों की आय में बढ़ोतरी का अध्ययन करे
मुख्य सचिव ने नाबार्ड को निर्देश दिए कि राज्य में सिंचाई सुविधाओं के विकास के सापेक्ष किसानों की कृषि आय में बढ़ोतरी पर तुलनात्मक अध्ययन किया जाए। बैठक में बताया गया कि योजना के तहत 2.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधाओं का सृजन एवं पुनरुद्धार हुआ। लगभग 14,766 किमी ग्रामीण सड़कों के नेटवर्क और 27307 मीटर पुल बनाए गए। 23.77 लाख ग्रामीण आबादी को पेयजल सुविधा दी गई।