कांग्रेस ने बताया फ्री स्पीच को खतरा
पवन खेड़ा ने कहा कि यह स्वतंत्र समाचार कवरेज प्रदान करने वाले व्यक्तियों और छोटी टीमों को अनावश्यक रूप से नियमन के दायरे में कर सकता है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने भी खेड़ा के बयानों का समर्थन किया है। पार्टी ऑनलाइन क्रिएटर्स के लिए कंटेंट मूल्यांकन समितियां स्थापित करने की आवश्यकता को प्रकाशन-पूर्व सेंसरशिप बता रही है, जिससे समाचार मिलने में देरी के साथ फ्री स्पीच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
छोटे कंटेंट क्रिएटर्स पर बढ़ेगा बोझ: कांग्रेस
खेड़ा के अनुसार प्रस्तावित विधेयक छोटे कंटेंट क्रिएटर्स पर भारी नियामक बोझ बढ़ाएगा, क्योंकि यह उन्हें बड़े मीडिया उपक्रमों की तरह मानता है। कई स्वतंत्र पत्रकारों के पास अनुपालन करने के लिए संसाधनों की कमी है और वे बंद हो सकते हैं। अपने प्लेटफॉर्म से पैसे कमाने वाले कंटेंट क्रिएटर्स को पारंपरिक ब्रॉडकास्टर्स की तरह ही कड़े नियमों का सामना करना पड़ेगा और यह नए लोगों के प्रवेश को हतोत्साहित कर स्वतंत्र क्रिएटर्स की आर्थिक क्षमता समाप्त करेगा।
कांग्रेस के मुताबिक विधेयक के मसौदे की प्रक्रिया में नागरिक समाज, पत्रकार और प्रमुख हितधारकों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे पारदर्शिता और समावेशिता ही नहीं स्वतंत्र पत्रकारिता खतरे में होगी और ऑनलाइन दुनिया में अत्यधिक सरकारी निगरानी का रास्ता खुलेगा।
टीएमसी भी कर चुकी है विरोध
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन इस विधेयक का विरोध करने के पार्टी के इरादे जाहिर कर चुके हैं। शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने भी ऐसा ही रूख जाहिर करते हुए आरोप लगाया है कि मुख्यधारा की मीडिया को पहले ही शिकंजे में ले चुकी यह सरकार अब ऑनलाइन स्वतंत्र मीडिया की गिरेबान पकड़ना चाहती है और विपक्ष इसका तगड़ा विरोध करेगा।