कर्नाटक विधानसभा ने आज आगामी जनगणना के आधार पर लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन, एक देश-एक चुनाव और राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) के खिलाफ प्रस्तावों को मंजूरी दी।
कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को आगामी जनगणना के आधार पर लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन, एक देश-एक चुनाव और राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) के खिलाफ प्रस्तावों को मंजूरी दी।
आगामी जनगणना के आधार पर नहीं होना चाहिए परिसीमन
एक प्रस्ताव में विधानसभा ने मांग की है कि केंद्र सरकार को 2026 की जनगणना या उसके बाद होने वाली जनगणना के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन नहीं करना चाहिए। जनसंख्या के आधार पर सीटों की संख्या में इजाफे की स्थिति में उसे किसी राज्य में लोकसभा सीटों और वहां के विधानसभा क्षेत्रों की संख्या तय करने के लिए 1971 की जनगणना को ध्यान में रखना चाहिए।
‘राज्यों की स्वायत्तता कमजोर करेगा एक राष्ट्र-एक चुनाव’
दूसरे प्रस्ताव में कहा गया है कि एक देश-एक चुनाव का प्रस्ताव भारत की लोकतांत्रिक और संघीय व्यवस्था के लिए खतरा है। इसमें आगे कहा गया, विभिन्न राज्य विधानसभाओं की अपनी शर्तें होती हैं और एक समान चुनाव कार्यक्रम राष्ट्रीय मुद्दों पर बहुत अधिक फोकस करके और स्थानीय चिंताओं की उपेक्षा करके राज्यों की स्वायत्ता को कमजोर कर सकता है। पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करना, चुनाव कर्मचारियों का प्रबंधन, मतदाताओं के बीच निराशा, कम सरकारी जवाबदेही और आर्थिक व सामाजिक बाधाएं एक साथ चुनाव कराने से जुड़ी गंभीर चिंताएं हैं।
राज्य के कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया, यह सदन केंद्र सरकार से आग्रह करता है कि वह भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और एकता की रक्षा के लिए इस कड़े कानून को लागू न करे।
नीट प्रणाली को समाप्त करने की मांग
राज्य की कांग्रेस सरकार ने कहा कि नीट परीक्षा प्रणाली ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब बच्चों के लिए चिकित्सा शिक्षा के अवसरों को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। यह न केवल स्कूली शिक्षा प्रणाली को अप्रभावी बनाता है। बल्कि राज्य सरकार द्वारा प्रबंधित मेडिकल कॉलोजों में छात्रों को प्रवेश देने के राज्य के अधिकार को भी छीन लेता है। इसलिए यह अनुरोध किया जाता है कि इस प्रणाली समाप्त किया जाए।
तीसरे प्रस्ताव में कहा गया, यह सदन केंद्र से मांग करता है कि कर्नाटक को इस परीक्षा से छूट दी जाए और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सामान्य प्रवेश परीक्षा के आधार पर स्कूली छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति दी जाए। देशभर में हो रही अनियमितताओं को देखते हुए नीट प्रणाली को रद्द किया जाए।