‘सहकारिता में सहयोग’ को पूरे राज्य में लागू करेगी गुजरात सरकार

गुजरात सरकार के अनुसार, बनासकांठा और पंचमहल जिलों में सहकारिता में सहयोग प्रोजेक्ट के तहत चार लाख से ज्यादा नए बैंक खाते खुले हैं और सहकारी बैंकों में जमा रकम 900 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है।

गुजरात को दो जिलों में सफल पायलट प्रोजेक्ट के बाद गुजरात सरकार सहकारिता में सहयोग योजना को अब सभी जिलों में लागू करने की तैयारी कर रही है। गुजरात सरकार ने पहले राज्य के दो जिलों बनासकांठा और पंचमहल में इस प्रोजेक्ट को लागू किया था और इन दोनों जिलों में इसे खासी सफलता मिली है।

सफल पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब पूरे राज्य में योजना को लागू करेगी गुजरात सरकार
गुजरात सरकार के अनुसार, बनासकांठा और पंचमहल जिलों में सहकारिता में सहयोग प्रोजेक्ट के तहत चार लाख से ज्यादा नए बैंक खाते खुले हैं और सहकारी बैंकों में जमा रकम 900 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। बनासकांठा और पंचमहल की सहकारी समितियों में 1700 से ज्यादा माइक्रो एटीएम स्थापित किए गए हैं।

सीएमओ ने एक बयान जारी कर कहा कि ‘मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात के बनासकांठा और पंचमहल जिलों में सफलतापूर्वक सहकारिता में सहयोग पायलट प्रोजेक्ट का प्रयोग सफल रहा। अब इस अभियान के तहत केंद्रीय गृह और सहकारी मंत्री अमित शाह के सहयोग से इन जिलों में चार लाख से ज्यादा नए खाते खोले गए हैं। इसके चलते सहकारी बैंकों में जमा रकम 900 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन है कि देश के सभी राज्यों के सहकारी क्षेत्रों में आपस में समन्वय बनाकर देश में सहकारी संस्थाओं को एक नई ऊर्जा व नई पहचान दी जाए। अब केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता क्षेत्र में नए प्रयोग और पहल की जा रही हैं।

क्या है सहकारी संस्थाओं के बीच सहयोग की पहल
इस पहल का उद्देश्य जिला और राज्य सहकारी बैंकों के खातों में जमा राशियों को केंद्रीकृत करके गुजरात की हजारों सहकारी संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाना है। इसमें सहकारी संस्थाओं और उनके सदस्यों के विभिन्न वाणिज्यिक बैंकों में संचालित मौजूदा बैंक खातों को जोड़ कर उन्हें एक केंद्रीकृत जिला सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक के अंतर्गत लाने की योजना है। सहकारी संस्थाओं की सामूहिक पूंजी को एक केंद्रीकृत बैंक के अंतर्गत लाने पर कई महत्वपूर्ण परिणाम देखने को मिले हैं।

उदाहरण के लिए, केंद्रीयकृत सहकारी बैंकों की जमा राशि में काफी वृद्धि हुई है, सहकारी समितियों के बीच वित्तीय लिक्विडिटी बढ़ी है, जिससे लोन संबंधी आवश्यकताओं और मांग को आसानी से पूरा किया जा सकता है। साथ ही, इस पहल से अब यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सहकारी संस्थाओं की सामूहिक पूंजी, अन्य सहकारी संस्थाओं के भी उपयोग में लाई जा सके।

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