अंबाला। फॉर्मेसी में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को अब से अपने क्षेत्र में महारथ हासिल करने का अच्छा अवसर मिल सकेगा, क्याेंकि फाॅर्मेसी काउंसिल अपने पारंपरिक कोर्सों में बदलाव कर उन्हें सुलभ और रुचिकर बनाने जा रही है।
अंबाला के जीएमएन कॉलेज में शुक्रवार को फाॅर्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया की एजुकेशन रेगुलेशन कमेटी के चेयरमैन डा. दीपेंद्र सिंह पहुंचे। यहां उन्होंने अमर उजाला से विशेष बात करते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत फार्मेसी के पाठ्यक्रमों में भी बदलाव किया गया है। विद्यार्थी को ध्यान में रखकर कोर्स तैयार किया है। वह अब विद्यार्थी अपनी रुचि के हिसाब से विषय पढ़ सकेंगे।
कभी भी यू टर्न लेना होता वह भी कर सकते हैं। करियर में ब्रेक हो रहा है तो दोबारा से पढ़ाई शुरू करने का अधिकार भी उन्हें दिया जाएगा। विद्यार्थी अब अपनी रुचि के हिसाब से विषयों का जोड़ बना सकता है। विद्यार्थियों को पढ़ाई का क्रेडिट भी मिलेगा, जो उनके क्रेडिट बैंक में जमा होगा। आगे जिस विषय में या डिग्री में आप अपने क्रेडिट का प्रयोग करना चाहें तो कर सकेंगे। इसके साथ ही काउंसिल का अभी जोर है कि इंडस्ट्रियल क्षेत्र में काफी योगदान फॉर्मेसी पढ़ने वाले युवाओं ने दिया है।
हम दुनिया में दवाओं को बनाने में अव्वल हैं। अब अस्पतालों में क्लीनिकल फॉर्मेसी के माध्यम से सेवा करने की तरफ हमने ध्यान देना शुरू किया है। क्लीनिकल फॉर्मेसी में मरीजों की सेवा की जाती है। क्लीनिकल फॉर्मासिस्ट अस्पताल में मरीज की बीमारी की हिस्ट्री लेना, दवा बताना, प्रिस्क्रिप्शन का ऑडिट करना, मरीज की काउंसिलिंग करना आदि कार्य करते हैं। यह फॉर्मासिस्ट मेडिकल सिस्टम में चिकित्सकों का भार कम करने का काम करेंगे।
स्थानीय समस्याएं देखकर विश्वविद्यालय विषय जोड़ सकेंगे
डॉ दीपेंद्र बताते हैं कि अब विश्वविद्यालयों को भी यह अधिकार दिया जा रहा है कि वह अपने यहां की स्थानीय स्वास्थ्य समस्याएं देखते हुए विषयों को कोर्स में जोड़ सकेंगी। जैसे अगर किसी क्षेत्र में मलेरिया काफी बड़ी समस्या है। उससे जुड़े काम, डिस्ट्रीब्यूशन आदि काफी जरूरत है तो वहां के शिक्षण संस्थान मलेरिया से जुड़ा विषय कोर्स में जोड़ सकेंगे। जिससे कि उस क्षेत्र के युवा पढ़ाई कर वहीं पर ही सेवाएं भी दे सकेंगे। विषय का चयन करने में विश्वविद्यालयों को लगभग 30 प्रतिशत की आजादी रहेगी।
गड़बड़ी नहीं कर सकेंगे फॉर्मेसी कॉलेज
डॉ दीपेंद्र बताते हैं कि अब किसी भी फॉर्मेसी शिक्षण संस्थान के लिए गड़बड़ी करना आसान नहीं होगा। क्योंकि कॉउंसिल डिजिटलाइजेशन पर अधिक जोर दे रही है। अभी कोई मान्यता के लिए जानकारी भरता है तो हर कमरे का, उपकरणों का व अन्य संसाधनों का एक डिजिटल डाटा तैयार होता है। अगर कल कोई संस्थान कोई सुविधा घटाता है वह रिकॉर्ड में पकड़ में आ जाएगा। इंसानी दखल को काफी कम करने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही शिक्षक व बच्चे पहले दिन से ही वेबसाइट पर आधार कार्ड से लिंक्ड हैं। अगर शिक्षक या बच्चों में से कोई भी दो जगहों पर नामांकन करता है तो वह पकड़ा जाएगा। इससे काफी गड़बड़ियों को रोका जाएगा।