उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में राधारानी के गांव बरसाना में सोमवार को नंदगांव के हुरियारों और बरसाना की हुरियारिनों ने जमकर लठमार होली खेली और परंपराओं को जीवित कर दिया। शाम को पांच बजे से दिन छिपने तक करीब एक घंटे चले इस होली युद्ध की समाप्ति तब हुई जब नंदगांव के हुरियार थक कर चूर हो गए और उन्होंने बरसाना की हुरियारिनों की जीत कबूल कर ली। तब हुरियारिनें अगले बरस फिर आने का न्यौता दे यह गाती हुई लौट चलीं कि ‘लला, फिर आइयो खेलन होरी। इसी के साथ वे राधा रानी को जीत की सूचना देने मंदिर की ओर बढ़ चलीं।
स्थानीय नागरिकों के मुताबिक, मथुरा जिले में राधारानी के गांव बरसाना में सोमवार को द्वापर युग का वह दृश्य पैदा हो गया, जो हजारों वर्ष पूर्व कृष्ण काल में कभी राधा और उनकी सखियों के साथ कन्हैया और उनके ग्वाल, बालों द्वारा होली खेलते समय देखने को मिला होगा। यह मौका था बरसाना में परंपरागत लठमार होली के आयोजन का। सोमवार की दोपहर बरसाना के गोस्वामी समाज के न्यौते पर नंदगांव के हुरियार धोती-कुर्ता पहने और सिर पर साफा बांधे, कमर में फेंटा कसे, हाथों में ढाल और पिचकारियां लिए पूरी तैयारी के साथ बरसाना की पीली पोखर पहुंचे जहां उनका मिष्ठान्न एवं भांग-ठंडाई के साथ जोरदार स्वागत किया गया। कुछ समय के विश्राम के पश्चात हुरियारों का यह काफिला ‘दरशन दै निकस अटा में ते दरशन दे, श्रीराधे वृषभानु दुलारी’ पद गाते हुए बरसाना के लाडिलीजी (राधारानी) मंदिर पहुंचा, जहां उन्होंने राधा रानी को नमन कर उनसे होली खेलने की अनुमति मांगी।
मंदिर में बरसाना और नंदगांव के हुरियारों ने मिलकर ‘गिरधर के अनुराग सौं रंग बरस रहौ बरसानौं जूं’ पद गाते हुए बरसाना के हुरियारों ने पिचकारियों से टेसू के फूलों से निर्मित रंग बरसाना शुरू कर दिया। जिससे नंदगांव के हुरियारे तरबतर हो गए। मंदिर से होली खेलकर नन्दगांव के हुरियारे रंगीली गली पहुंचे तो वहां उनकी प्रतिक्षा में खड़ी बरसाने की हुरियारिनों ने प्यार भरी गालियां सुनाना प्रारंभ कर दिया। यहां हंसी-ठिठौली के बीच उड़ते रंगों पर प्रेम भरी लाठियां बरसीं। इन लाठियों से नंदगांव के हुरियारे अपनी ढालों की ओट में बचते हुए नजर आए। कुछ ढालों पर गोपियों की लाठियों के वार सहते हुए उछल कूद करते नजर आए। रंगीली गली, फुल गली, सुदामा मार्ग, राधाबाग मार्ग, थाना गली, मुख्य बाजार, बाग मोहल्ला में ढालों पर लाठियों से निकली तड़ातड़ की आवाजें गूंज रहीं थीं। कुल मिलाकर लट्ठमार होली में नारी सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल दिखाई दे रही थी।