मुख्यालय स्तर के अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं। सरकार नरेश गोयल को पहले ही बर्खास्त कर चुकी है। सरकार घोटाले में शामिल सभी अधिकारियों को बर्खास्त करेगी। अधिकारियों और ठेकेदार की वाट्सअप चैट भी सामने आई है।
हरियाणा सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी) में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के बाद सरकार ने इस परियोजना को बंद कर दिया है। साथ ही, इस मामले में अब मुख्यालय स्तर के अधिकारियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार अधिकारियों व ठेकेदार से रिमांड के दौरान अहम सबूत जुटाए हैं। गुरुग्राम, अंबाला और करनाल एसीबी की टीमें दस्तावेजों को भी खंगाल रही हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि मुख्यालय स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से ही घोटाले को अंजाम दिया गया।
फर्जी बिल लगाए गए और ऑडिटरों द्वारा उसे सही करार देकर घोटाले को महीनों तक जारी रखा गया। इसके बाद आईसीडीपी योजना के नोडल अधिकारी व विभाग के अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल समेत अन्य पर मुकदमा दर्ज कर उनको गिरफ्तारी किया जा सकता है। घोटाला सामने आने के बाद उनको पिछले साल जुलाई में ही बर्खास्त कर दिया गया था।
इसी बीच, एसीबी को अधिकारियों और ठेकेदार में हुई वाट्सअप चैट भी मिसी है। इस चैट में अधिकारियों को पैसों के लेन-देन समेत बिलों के भुगतान का पूरा ब्यौरा है। इसी चैट को आधार बना एसीबी ने अंबाला और करनाल में तीन-तीन नए केस दर्ज कर चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया। एसीबी के सूत्रों का दावा है कि जल्द ही एक और नया केस दर्ज किया जाना है। इसके लिए सबूत जुटाए जा रहे हैं।
हरियाणा सरकार ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया है। विभाग के मंत्री डा. बनवारी लाल का कहना है कि घोटाले में शामिल सभी अधिकारियों को बर्खास्त किया जाएगा। सहायक रजिस्ट्रार अनु कोशिश और उप मुख्य लेखा परीक्षक योगेंद्र अग्रवाल को पहले ही बर्खास्त करने की सिफारिश की गई है। अन्य अधिकारियों को भी बर्खास्त करने की सिफारिश की जाएगी। अब तक एसीबी जिलों में तैनात 10 अधिकारियों व कर्मचारियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
घोटाले में शामिल किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। एसीबी की जांच रिपोर्ट के आधार पर घोटाले में शामिल अधिकारियों को बर्खास्त किया जाएगा। -डा. बनवारी लाल, सहकारिता मंत्री, हरियाणा
किस अधिकारी को कितने पैसे दिए जाने हैं और कितने दिए, यह सब चैट में
पिछले साल रेवाड़ी में हुई गड़बड़ी की शिकायत के बाद एसीबी को जांच सौंपी गई थी। जांच के दौरान सहायक रजिस्ट्रार अनु कौशिश और ठेकेदार स्टालियनजीत की कॉल डिटेल व वाट्सअप चैट को जांचा गया तो इसमें पता चला कि किस अधिकारी को कितने पैसे दिए जाने हैं और कितने दिए गए हैं। एसीबी ने इसी वाट्सअप के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया और एक-एक करके 31 जनवरी को छह नए केस दर्ज किए हैं।
करनाल में दर्ज नए केस
केस नंबर-3
आरोपी : डीआरसीएस रोहित गुप्ता, एआरसीएस अनु कौशिश व ठेकेदार स्टालियनजीत
आरोप : 11 लाख रुपये रिश्वत लेने का
केस नंबर-4
आरोपी : आईसीडीपी पानीपत के जीएम राम कुमार व ठेकेदार स्टालियनजीत
आरोप : 16.78 लाख के गबन का
केस नंबर-5
आरोपी : करनाल के एओआरसी बलविंद्र व ठेकेदार स्टालियनजीत
आरोप : 5 हजार रुपये की रिश्वत लेना
ऐसे चलता रहा खेल : फर्जी स्वयं सहायता समूह बनाए और फर्जी किसानों के नाम पर दिया लोन
ठेकेदार स्टालियनजीत का अहम रोल
योजना के तहत पैक्स समितियों में भवन निर्माण, गोदाम बनाने से लेकर फर्नीचर उपलब्ध कराने, किसानों को प्रशिक्षण देने तक के लिए लोन दिया जाना था। एसीबी की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि ठेकेदार स्टालियनजीत ने अधिकारियों से मिलीभगत करके फर्जीवाड़ा किया। अधिकारियों ने ठेकेदार को काम देने के बदले रिश्वत भी ली। स्टालिनजीत की आधा दर्जन से अधिक कंपनी हैं। अलग-अलग जिले में उसने अलग-अलग कंपनी के नाम पर काम लिया और फर्जी स्वयं सहायता समूह तैयार करके उनके नाम पर राशि निकाल ली। कार्य मिलने को सही कराने देने के लिए अधिकारियों ने स्टालियनजीत की ही दूसरी कंपनियों की क्यूटेशन साथ में लगाई। इसके अलावा, घटिया सामग्री की आपूर्ति की गई, जबकि उसके बिल अच्छी क्वालिटी के सामान के बनाए गए। फर्जी किसानों के नाम पर ऋण दिया गया और मजदूरों को लोन रिश्वत लेकर दिया गया।
स्टालियनजीत और अनु कौशिश पर किसका राजनीतिक हाथ
पूरे घोटाले में अधिकारी अनु कौशिश और ठेकेदार स्टालियनजीत की भूमिका रही है। सूत्रों का दावा है कि दोनों पर राजनीतिक हाथ होने के चलते इनके खिलाफ न तो कभी मुख्यालय स्तर पर कार्रवाई की गई और न ही किसी ने इनके काम रोके। पहुंच का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अनु के पास अंबाला के साथ साथ मंत्री के जिले रेेवाड़ी का भी चार्ज रहा। ठेकेदार स्टालियनजीत के यमुनानगर स्थित शर्मा गार्डन में और चंडीगढ़ स्थित 38 सेक्टर में मकान हैं।
करनाल के डीसी ने मार्च में की थी कार्रवाई की सिफारिश, आज तक कुछ नहीं हुआ
करनाल के गांव बीर बढ़ालवा निवासी लव कुमार ने मुख्यमंत्री को मामले की शिकायत देकर आरोप लगाया था कि डीआर रोहित गुप्ता, एआर अनु कौशिश और निगदू पैक्स मैनेजर जोगिंद्र सिंह ने अपने पदों का दुरुपयोग करके अवैध रूप से समितियों में लोगों को नौकरियों पर रखा है। इस मामले में एडीसी करनाल ने जांच की थी। लेकिन दो माह तक भी सहकारिता अधिकारियों ने न तो एडीसी के पास रिकाॅर्ड पेश किया और न ही जांच में सहयोग किया, बल्कि तथ्यों को छिपाने की कोशिश की गई। इसी आधार पर डीसी करनाल ने 21 मार्च 2023 को सहकारी समितियां के रजिस्ट्रार पंचकूला को पत्र लिखा था और इनके खिलाफ अनुशासनत्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन आज तक इस मामले में विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
चार अधिकारी भेजे जेल, एक का रिमांड बढ़ा, रिश्वत के रूप में मिला सामान जब्त
नए केसों में गिरफ्तार चार अधिकारियों को रिमांड के बाद जेल भेज दिया गया है। इनमें करनाल के ही ऑडिट अधिकारी बलविंद्र, उप-रजिस्ट्रार रोहित गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार अन्नु कौशिश व पानीपत के सहायक रजिस्ट्रार रामकुमार शामिल हैं। वहीं, अभी अतिरिक्त रजिस्ट्रार जितेंद्र कौशिक रिमांड पर है। रविवार शाम को एसीबी की टीम आरोपी को अदालत में पेश करेगी। एसीबी करनाल के इंस्पेक्टर सचिन ने बताया कि रोहित गुप्ता को किसी ने लग्जरी एलईडी भेंट की। इसके अलावा उन्होंने मकान पर सोलर सिस्टम लगाया था जिसका कुछ भुगतान डिप्टी रजिस्ट्रार ने कर दिया और बाकी किसी अन्य से कराया गया। दोनों सामान जब्त कर लिए गए हैं। आरोपियों ने घोटाले की राशि से प्लाॅट और मकान खरीदे हैं, जिसकी जांच चल रही है। जितेंद्र कौशिक के बैंक खातों की जांच भी शुरू कर दी गई है।