आखिरकार पाकिस्तान को भी मानना पड़ा है कि लश्कर सरगना हाफिज सईद आतंकवादी है. अब तक पाकिस्तानी सेना सईद और उसके संगठन को सरपरस्ती देती आई है. पाकिस्तानी गृह मंत्रालय ने न्यायिक समीक्षा बोर्ड से कहा है कि हाफिज सईद को उसके चार साथियों को जेहाद के नाम पर दहशत फैलाने के आरोप में नजरबंद किया गया था.
नजरबंदी के खिलाफ अपील
दरअसल, पाकिस्तान ने मार्च में सईद और उसके चार साथियों को नजरबंद किया था. 30 अप्रैल को ये नजरबंदी 90 दिनों के लिए बढ़ा दी गई थी. हाफिज सईद ने इस फैसले के खिलाफ न्यायिक समीक्षा बोर्ड में अपील की थी. शनिवार को सईद इस मामले में बोर्ड के सामने पेश हुआ. सईद का कहना था कि पाकिस्तानी सरकार ने कश्मीरियों की आवाज बुलंद करने से रोकने के लिए उसे नजरबंद किया है. हालांकि पाकिस्तानी गृह मंत्रालय ने इस बात का खंडन किया.
न्यायिक बोर्ड ने क्या कहा?
तीन जजों वाले वाले बोर्ड ने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह सईद और उसके चार साथियों – जफर इकबाल, अब्दुल रहमान आबिद, अब्दुल्ला उबैद और काजी कासिफ नियाज को हिरासत में लिए जाने को लेकर पूरा रिकॉर्ड सौंपे. मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होनी है. बोर्ड का आदेश था कि अगली सुनवाई पर पाकिस्तान के एटॉर्नी जनरल खुद पेश हों.
कड़ी सुरक्षा में अदालत पहुंचा था सईद
हाफिज सईद अपने समर्थकों के साथ पुलिस के कड़े पहरे में अदालत में पेश हुआ था. इस मौके पर सईद के समर्थक अदालत के बाहर जमा थे. सईद के वकील एके डोगर भी मौजूद थे, लेकिन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक ने अदालत के समक्ष खुद ही अपनी दलील रखने का फैसला किया. उसने कहा, सरकार की ओर से मेरे के खिलाफ लगाए गए आरोप किसी सरकारी संस्था द्वारा कभी साबित नहीं हुए. कश्मीर की आजादी के लिए आवाज बुलंद करने और कश्मीर मुद्दे पर सरकार की कमजोर नीति की आलोचना करने की वजह से मेरे संगठन और मुझे निशाना बनाया गया है.