मीरा जी के जन्मोत्सव पर 27 अक्टूबर से मनाया जा रहा राज पूणो महोत्सव 30 अक्टूबर को संपूर्ण हुआ। यह उत्सव प्रेम की प्रतीक मीरा बाई सा के जन्म के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। इस महोत्सव में विश्व भर से कलाकार मीरा जी को अपनी प्रेम के उपहार देने आए थे।
वृंदावन में स्थित मीरा जी का मंदिर उनका वही प्राचीन घर और मंदिर है, जहां मीरा जी ने अपनी ठाकुर की उपासना लगभग 15 वर्ष तक करी थी। मंदिर में आज भी मीरा जी के ठाकुर जी के दर्शन होते हैं। उनके एक हाथ पर मीरा जी के दर्शन दूसरे हाथ पर राधा जी के दर्शन हैं, राधा के श्याम हो तो मीरा के भी श्याम के दिव्य दर्शन हैं। उन्हीं के ठीक नीचे के सिंहासन पर दर्शन ठाकुर श्री राधा मनोहर जी महाराज के हैं। जो इस शरद पूर्णिमा महोत्सव पर सभी भक्तों को मंदिर के आंगन में चंद्रमा के नीचे में साल में एक बार दिव्य दर्शन देते हैं। इसी के साथ ही मीरा जी के प्राचीन शालिग्राम जी के दर्शन हैं, जिनके लिए प्रसिद्ध है “राणा सांप पिटारी भेजो शालिग्राम भाइयों” मीरा जी जब चित्तौड़ से वृंदावन आई थी तो अपने शालिग्राम जी को संग लाई थी और मंदिर में विराजमान कर गई थी।
सितार संगीत रत्न लेखा देवी दासी द्वारा प्रस्तुत किया गया। बधाई भजन संध्या वृन्दावन ब्रजवासी ठाकुर मोहित भैया द्वारा प्रस्तुत की गई। पूरे भारत और वृन्दावन के कई कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं जैसे पद्मिनी जी द्वारा प्रस्तुत भजन, गुजरात के ऋत्विक मिस्त्री जी द्वारा नृत्य, हिमांशु ठाकुर ने उगते सूरज के साथ यमुना जी के तट पर मीरा जी के भजन गाकर मीरा जी के जन्म का जश्न मनाया।
मंदिर के सेवायत रुद्र प्रताप सिंह ने कहा, “मीरा जी और उनके गिरिधर के प्रति असीम प्रेम हम सभी के लिए प्रेरणा है। उनके पास दुनिया को प्यार के अलावा देने के लिए और कुछ भी नहीं है और बदले में वह कुछ भी नहीं मांगती हैं। यही प्रेम का सही अर्थ है। प्रेम क्या होता है ये हम सभी मीरा बाई से सीख सकते हैं। इसी तरह, मेरे पिता जी जो मंदिर के अनंत सेवायत थे, उन्हें कुछ महीने पहले ही गोलोकवास प्राप्त हुआ है, उन्होंने भी सभी को प्रेम का संदेश दिया। यह उनके आशीर्वाद और मंदिर के भक्तों का समर्थन है कि ऐसे उत्सव संभव हो पाते हैं।”